ऐतिहासिक स्मारकों के आसपास निर्माण पर रोक की नीति की होगी समीक्षा

नई दिल्ली,15 मार्च (आरएनएस)। केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल का कहना है कि सरकार केंद्रीय तौर पर संरक्षित स्मारकों को उनके ऐतिहासिक महत्व के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए उस नीति की समीक्षा करेगी जो ऐसे स्मारकों के आसपास निर्माण को नियंत्रित करती है।
प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के अनुसार, केंद्रीय तौर पर संरक्षित स्मारकों के आसपास 100 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक है जबकि 100-200 मीटर के दायरे के तहत निर्माण नियमित है। बीते कई सालों में, इस कानून ने इन क्षेत्रों के आसपास विकास कार्य को काफी बाधित किया है। इस वजह से सरकार ने ऐसी बाधाओं को दूर करने के लिए संसद के पिछले सत्र में संशोधन लाने का फैसला किया था। यह संशोधन लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा ने इसे एक समिति को भेज दिया था। पटेल ने कहा, हम सभी स्मारकों के ऐतिहासिक महत्व के आधार पर उनका पुन: वर्गीकरण करने की योजना बना रहे हैं। संबंधित अधिकारियों से इसके लिए रूपरेखा देने को कहा गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ताज महल के आसपास 500 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं किया जा सकता, लेकिन अगर यह कोई मजार या कोई समाधि हो तो यही तर्क लागू नहीं किया जा सकता। मंत्री ने कहा, मजार और समाधि के आसपास 300 मीटर के दायरे में कुछ नहीं बनाया जा सकता है। ऐसा क्यों होना चाहिए? उन्होंने कहा, हम संशोधन लाने की तैयारी कर रहे हैं। हमारे पास सूरत से एक मामला आया है, जहां स्मार्ट सिटी के डिजाइन के बीचों-बीच ब्रिटिश जमाने की एक कब्र है। पटेल ने कहा कि केंद्रीय तौर पर संरक्षित स्मारकों की सूची में कई वर्षों में पर्याप्त वृद्धि नहीं देखी गई और राज्य सरकार के तहत आने वाले अहम स्थलों को सूची में शामिल किया जा सकता है। पुन:वर्गीकरण के बाद कुछ स्थलों को जब केंद्र की सूची से हटा दिया जाएगा तो उनके समीप विकास कार्य किया जा सकते हैं। मंत्री के रुख को समझाते हुए संस्कृति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई अहमियत के मुताबिक ही देश के अधिकतर स्मारकों को वर्गीकृत किया गया है। इनका पुन: वर्गीकरण आधुनिक भारत में इनके महत्व के आधार पर किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि कानून में संशोधन के लिए जल्द ही एक कैबिनेट नोट पेश किया जाएगा। भारत में केंद्रीय तौर पर संरक्षित 3,691 स्मारक हैं और यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन आते हैं। सबसे ज्यादा स्थल उत्तर प्रदेश में हैं, जहां इनकी संख्या 745 है। इसके बाद कर्नाटक में 506 और तमिलनाडु में 413 स्मारक हैं।
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