निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ फांसी होगी या नहीं
नई दिल्ली, 04 मार्च (आरएनएस)। निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। इस मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों ने ही दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने की बात कही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली प्रिजन मैनुअल के हिसाब से अपने पिछले फैसले में कहा था कि एक केस में सभी दोषियों को एक साथ सजा देने का प्रावधान है।
क्या है मैनुअल में प्रावधान
दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, किसी क्राइम में एक से अधिक दोषियों को फांसी सुनाई गई हो तब ऐसी परिस्थिति में किसी भी दोषी की याचिका लंबित हो तो सभी की फांसी रुक जाएगी। कानून के हिसाब से एक क्राइम में सभी दोषियों को एक साथ सजा देने का प्रावधान है।
इसी कानून का फायदा उठा रहे दोषी
निर्भया मामले में चार दोषी हैं। चारों ही दोषियों को दिल्ली कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है। इसी कानून का फायदा अब तक दोषी उठाते आ रहे हैं। हर बार डेथ वारंट जारी होने के बाद एक दोषी अपने कानूनी विकल्प को इस्तेमाल कर डेथ वारंट पर रोक लगवा लेता है जिससे फांसी टल जाती है। अब तक तीन बार डेथ वारंट जारी हो चुका है मगर दोषियों को सजा नहीं मिली है। हालांकि गुरुवार को फिर से चौथी बार डेथ वारंट जारी करने के लिए कोर्ट का रुख किया गया है। बता दें कि अब चारों दोषियों ने अपने-अपने सारे विकल्प इस्तेमाल कर चुके हैं।
डेथ वारंट जारी करने की तैयारी
दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को चार दोषियों में से एक दोषी पवन की दया याचिका खारिज कर दी। राष्ट्रपति पहले ही अन्य तीनों दोषियों की दया याचिका खारिज कर चुके हैं। पवन की दया याचिका खारिज होते ही चारों दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं। ऐसे में अब निर्भया के माता पिता की वकील सीमा कुशवाहा ने जानकारी दी कि हम दिल्ली कोर्ट में दोषियों का डेथ वारंट जारी करने के लिए ताजा आवेदन दे रहे हैं। सभी दोषियों ने अपने सारे कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लिया है। अब फांसी की जो तारीख तय होगी वो आखिरी तारीख होगी। उधर, दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार सुबह मौत की सजा पाए चारों दोषियों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य जांच कराने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसे सबसे पहले एनएचआरसी के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। इससे पहले सोमवार को चारों दोषियों की फांसी पर पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी थी। पुराने डेथ वारंट के अनुसार सभी दोषियों को तीन मार्च को सुबह छह बजे फांसी की सजा दी जानी थी। कोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल यह टल गई।
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