दीक्षांत का मतलब विद्यार्थी ज्ञान से अपने जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करें : सुश्री उइके

रायपुर, 26 फरवरी (आरएनएस)। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि सही अर्थ में दीक्षांत वह है जब विद्यार्थी अब तक प्राप्त ज्ञान के आधार पर अपने जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करें और अपने अर्जित ज्ञान को मूर्त रूप देते हुए जीवन के संघर्षमय मार्ग में अग्रसर हो सके। जिन विद्यार्थियों ने उपाधि प्राप्त कर प्रतिज्ञा ली है वे संस्कारों को अपनाते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। यह बात राज्यपाल सुश्री उइके ने आज पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत-समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने सभी उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों ने शोधार्थियों को उपाधि और प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया।

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश की उच्च-शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों का यह महत्वपूर्ण दायित्व है कि वे वर्तमान युवा पीढ़ी एवं भावी पीढ़ी के लिए उच्च स्तरीय शैक्षणिक माहौल तैयार करें ताकि उनके और मानव-जाति के विकास की राह प्रशस्त हो सके। साथ ही ऐसी शैक्षणिक प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो इन युवाओं को अपने देश की संस्कृति, अनुशासन, संयम और अध्यात्म से प्रत्यक्ष जोड़ सके। उन्होंने कहा कि युवा-वर्ग से मेरी अपेक्षा है कि वह न सिर्फ आत्मनिर्भर बनते हुए पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों को सहर्ष पालन करें बल्कि अपने नैतिक मूल्यों को भी अच्छी तरह समझें। ये मूल्य ही आगे राष्ट्र-मूल्य बनकर हमें देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन कराना सिखाते हैं। सुश्री उइके ने कहा कि देश और समाज के सम्पूर्ण विकास के लिए वैज्ञानिक उन्नति तो आवश्यक है ही परंतु हमें अपनी जमीन को नहीं छोडऩा है, जहाँ से हम आगे बढ़े हैं। हमें इन मूल्यों को सदैव ध्यान में रखना चाहिए।

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