वन्य जीव और प्राकृतिक वास सदियों से भारत के सांस्कृतिक लोकाचार:मोदी

नईदिल्ली,17 फरवरी (आरएनएस)। प्रवासी प्रजातियों पर संयुक्त राष्ट्र समझौता के पक्षकारों का 13वां सम्मेलन आज गांधी नगर में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, 130 देशों के पर्यावरण विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं तथा जैव विविधता क्षेत्र के अग्रणी लोगों की मौजूदगी में प्रारंभ हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से उद्घाटन किया। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सीएमएस सीओपी13 समृद्ध जैव विविधता और विश्व के विविधता वाले देशों में एक भारत के लिए खास महत्व रखता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत में जैव विविधता के चार आकर्षण है-पूर्वी हिमालय, पश्चिमी घाट, भारत-म्यांमार क्षेत्र तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जो विश्व से आने वाले प्रवासी पक्षियों की 500 प्रजातियों का वास है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सतत जीवनशैली, संरक्षण तथा विकास के हरित मॉडल के प्रति संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्षों में सीओपी के अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका में मध्य एशियाई पक्षी उड़ान मार्ग के संरक्षण पर ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए भारत ने राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है। उन्होंने कहा है कि भारत इस संबंध में अन्य देशों की कार्य योजनाओं में सहायता करने का इच्छुक है और भारत का लक्ष्य सभी के सक्रिय सहयोग से संरक्षण को नया रूप देना है।
मोदी ने कहा कि अध्यक्ष के रूप में भारत प्रशांत गतिविधियों तथा समुद्री जैव विविधता संरक्षण के लिए आसियान देशों के साथ सहयोग को मजबूत बनाएगा। उन्होंने कहा कि भारत ने समुद्री कछुआ नीति तथा समुद्री स्थायी नीति प्रारंभ की है, ताकि समुद्री पारिस्थितिकी में माइक्रो प्लास्टिक से उत्पन्न प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सके। फोकस के अन्य क्षेत्रों में सीमा पार सहयोग, आर्थिक विकास समितियों की स्थापना शामिल है।
सम्मेलन में ‘सुपर इयर फॉर इन्वॉयरनमेंटÓ प्रारंभ किया। इसके तहत सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन होगा और 2020 के अंत में इसकी समाप्ति संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन के साथ होगी, जब अगले दशक के लिए नई वैश्विक जैव विविधता रणनीति-2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा-अपनाई जाएगी। भारत ने आज जैव विविधता की समस्या से निपटने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण पर फोकस के साथ अगले तीन वर्षों के लिए सीओपी की अध्यक्षता संभाल ली। अध्यक्षता ग्रहण करते हुए केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सीएमएस भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और भारत में सीओपी से प्रवासी प्रजातियों तथा उनके निवासों पर फोकस प्रारंभ होगा।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रवासी पक्षियों, स्तनपायी तथा जलजंतु प्रजातियां प्रवास मार्गों पर खतरे में है और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए सभी देशों को एक साथ काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए इन प्रजातियों की देखभाल हमारे लोकाचार में पृथ्वी पर सभी जन्तुओं और प्राकृतिक जीवन का संरक्षण करना शामिल है। भारत को सीएमएस सीओपी 13 की मेजबानी कर काफी प्रसन्नता हुई है।
संरक्षण की दिशा में सहयोग कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए सीएमएस की कार्यकारी सचिव सुऐमी फ्रेंकेल ने कहा कि सीओपी13 का आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब प्रजातियों के निवास स्थल और उनकी संख्या में गिरावट की प्रवृत्ति बनी हुई है। यह वन्य जीव संरक्षण के लिए गंभीर समय है।
उद्घाटन समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी तथा पर्यावरण और वन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो भी उपस्थित थे।
प्रवासी प्रजातियों पर समझौता वैश्विक स्तर पर प्रवासी प्रजातियों तथा उनके निवास की समस्या की आवश्यकता सुलझाने के लिए एकमात्र समर्पित बहुपक्षीय संधि है। सम्मेलन में प्रवासी प्रजातियों के बेहतर संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों पर विचार किया जाएगा।
वन्य जन्तुओं की प्रवासी प्रजातियां साल में अलग-अलग समय खाद्य, सूरज की रोशनी, तापमान, जलवायु जैसे विभिन्न कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती हैं। कुछ प्रवासी पक्षियां हजारों किलोमीटर दूर जाकर वास करती हैं। पक्षियों के मार्ग में घोंसले के लिए स्थान, प्रजनन स्थान, पसंदीदा खाद्य तथा प्रत्येक बार के प्रवास से पहले और बाद में उचित वास की उपलब्धता आवश्यक है।
भारत हिम तेंदुआ, अमूर बाज, हंस, काली गर्दन वाले सारसों, समुद्री कछुओं, ड्यूगोंग और कुबड़ा व्हेल जैसी अनेक प्रवासी प्रजातियों का घर है।
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