एनडीआईएसी के दस्तावेज नियम परामर्श हेतु जारी
नईदिल्ली,12 फरवरी (आरएनएस)। संस्थागत व्यवस्था हेतु एक स्वतंत्र एवं स्वायत्त व्यवस्था बनाने के लिए नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र का गठन करने तथा इसे संस्थागत मध्यस्थता का केन्द्र बनाने और नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र को राष्ट्रीय महत्व का एक संस्थान घोषित करने के उद्देश्य से नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र (एनडीआईएसी), अधिनियम, 2019 को कानून का रूप दिया गया। यह अधिनियम इसी विषय पर 2 मार्च, 2019 को जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा।
अधिनियम की धारा 5 के अनुसार नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र (एनडीआईएसी) के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के एक न्यायमूर्ति या उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश अथवा एक ऐसे प्रख्यात व्यक्ति होंगे, जिन्हें मध्यस्थता, कानून अथवा प्रबंधन के क्षेत्र में विशेष ज्ञान एवं अनुभव होगा और जिनकी नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी। इसके अलावा, इस केन्द्र में दो पूर्णकालिक अथवा अंशकालिक सदस्य भी होंगे, जो ऐसे प्रख्यात व्यक्ति होंगे, जिन्हें घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही तरह की संस्थागत मध्यस्थता में व्यापक ज्ञान और अनुभव होगा। इसके अलावा, वाणिज्य एवं उद्योग जगत के एक मान्यता प्राप्त निकाय के एक प्रतिनिधि को एक अंशकालिक सदस्य के रूप में रोटेशन के आधार पर नामित किया जाएगा। विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग में सचिव, वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा मनोनीत वित्तीय सलाहकार और एनडीआईएसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इसके पदेन सदस्य होंगे।
अधिनियम की धारा 23 में अन्य बातों के अलावा इस केन्द्र का सचिवालय बनाने का प्रावधान भी किया गया है जिसमें रजिस्ट्रार, परामर्शदाता और अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी इत्यादि होंगे।
सरकार ने इस प्रक्रिया के तहत सभी हितधारकों से परामर्श करने की मंशा व्यक्त की है। उपर्युक्त मसौदा नियमों की एक प्रति को विधि कार्य विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। तदनुसार, विधि कार्य विभाग ने मसौदा नियमों पर आम जनता से परामर्श का कार्य शुरू कर दिया है। इस पर टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए 14 मार्च, 2020 तक की समयसीमा तय की गई है।
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