(महत्वपूर्ण)(नईदिल्ली)नए दशक के पहले बजट में समाज के हर वर्ग का रखा गया ख्याल:तोमर
0-किसानों व ग्रामीणों की भलाई पर केंद्र सरकार का फोकस
नईदिल्ली, 01 फरवरी (आरएनएस)। कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के बजट 2020-21 की सराहना करते हुए कहा है कि इस बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने आम जनता के साथ ही किसानों सहित देश के ग्रामीणों की भलाई को प्राथमिकता पर रखा है। नए दशक के पहले बजट से देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछेगा व चहुंमुखी विकास होगा तथा 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डालर की भारतीय अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी। वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए 16 सूत्रीय प्लान बनाया गया है। 1.60 लाख करोड़ रू. कृषि एवं किसान कल्याण के लिए तथा 1.23 लाख करोड़ रू. ग्रामीण विकास मंत्रालय हेतु बजट प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के लिए पर्याप्त बजट प्रावधान किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का विशेष रूप से आभार माना है। तोमर ने कहा कि हमारी सरकार गांव, गरीब व किसानों पर पहले से ही विशेष ध्यान दे रही है एवं इस बजट में इन सबके लिए और अधिक सुविधाएं जुटाने के प्रावधान करने से पुन: यह सिद्ध हो गया है कि मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के ध्येय पर तन्मयता से काम कर रही है। बजट प्रावधानों से एक भारत- श्रेष्ठ भारत की झलक साफतौर से मिलती है। महिलाओं व मध्यम वर्ग सहित समाज के सभी वर्गों के लिए राहतभरा बजट है। स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास,स्वच्छ जल जैसे अहम क्षेत्रों के लिए भी पूरा ध्यान सरकार ने रखा है।
21वीं शताब्दी के तीसरे दशक का पहला केन्द्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को दूर-दराज तक पहुंचने वाले अनेक सुधारों की शुरुआत की, जिनका उद्देश्य लघु अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊर्जावान बनाना है। केन्द्रीय बजट जीवन को सरल बनाने की सम्पूर्ण विषय-वस्तु पर तैयार किया गया है।
तोमर ने बताया कि देश के करोड़ों किसानों के हितों के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही है और वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में भी ज्यादा प्रावधान कर धनराशि रखी गई है। कुल 2.83 लाख करोड़ रू. कृषि से जुड़ी गतिविधियों, सिंचाई और ग्रामीण विकास पर खर्च किए जाएंगे, जिससे मोदी सरकार की किसान हितैषी मंशा पुन: रेखांकित हो गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम- किसान) से किसानों को काफी लाभ हुआ है। अन्नदाता किसानों को ऊर्जादाता बनाने की दिशा में बंजर जमीनों पर सौर ऊर्जा के प्लांट लगाने के साथ ही पंप सेट को सौर ऊर्जा से जोडऩे पर और भी काम केंद्र सरकार करेगी। इसके लिए 20 लाख किसानों को सोलर पंप लगाने में सरकार मदद करेगी। सरकार 15 लाख अन्य किसानों को ग्रिड कनेक्टेड पंप देगी। सौर ऊर्जा जनरेशन भी बढ़ाया जाएगा। किसानों के पास खाली या बंजर जमीन है तो वे सौर ऊर्जा जनरेशन यूनिट्स लगा सकेंगे ताकि वे वहां से पैदा होने वाली सौर ऊर्जा को बेच सकें।
कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए मॉडल कानूनों को लागू करने हेतु राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा। सिंचाई सुविधाओं में वृदिध पर भी सरकार का फोकस है। बजट में यह बात खासतौर से ध्यान में रखी गई कि किसानों के जीवन को आसान बनाया जाएं। कृषि उत्पाद जल्द बाजार पहुंचे, इसका खास इंतजाम किया गया है। रेलवे द्वारा दूध, मांस, मछली के परिवहन के लिए किसान रेल चलाई जाएगी। वहीं, एविएशन मिनिस्ट्री के जरिए कृषि उड़ान की शुरुआत होगी। इससे नॉर्थ-ईस्ट और आदिवासी इलाकों से कृषि उपज को बढ़ावा दिया जाएगा।
हॉर्टिकल्चर क्षेत्र को सरकार क्लस्टर में बांटकर हर जिले में एक उत्पाद को बढ़ावा देगी। इसकी नई स्कीम लाई गई है। दूध उत्पादन क्षमता 2025 तक दोगुना से ज्यादा बढ़ाने हेतु प्रावधान किया है। नाबार्ड की रिफाइनेंस स्कीम का दायरा बढ़ेगा। बजट में 15 लाख करोड़ रू. एग्रीकल्चर क्रेडिट के लिए रखे हैं। कोई भी किसान परेशानी में नहीं रहे, यह ध्यान में रखते हुए ब्याज सबसिडी के लिए ज्य़ादा प्रावधान किया है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना के अंतर्गत 58 लाख स्वयं सहायता समूह बन चुके हैं, जिनकी संख्या बढ़ाते हुए इनसे ज्यादा महिलाओं को जोड़ेंगे जो कि बीज संग्रहण भी करेगी। इस तरह धनलक्ष्मी धान्य लक्ष्मी बन सकती है। वर्तमान भण्डार गृहों की मैपिंग एवं जियो टैगिंग की जाएगी तथा भंडारण आवश्यकताओं का आंकलन कर नाबार्ड एवं अन्य केंद्रीय भंडार एजेंसियों के माध्यम से पीपीपी मोड पर नए भंडार गृहों का निर्माण किया जाएगा। बैकवर्ड, लिंकेज के तहत ग्रामीण भण्डारण योजना का आरम्भ किया जाएगा, जो कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लागू की जाएगी। एक लाख ग्राम पंचायतों में डिजीटल फाइबर बिछेगी।
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