सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस की खुली अदालत में सुनवाई की मांग मानी
नई दिल्ली,24 जनवरी (आरएनएस)। उच्चतम न्यायालय अपने उस फैसले को लेकर देवेंद्र फडणवीस की पुनरीक्षण याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करेगा जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री को जनप्रतिनिधि कानून मामले में मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया गया था।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि फडणवीस को 2014 चुनाव के दौरान अपने शपथपत्र में दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी कथित रूप से नहीं देने के लिए मुकदमे का सामना करना होगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने गुरुवार को अपने एक आदेश में कहा, ‘पुनरीक्षण याचिकाओं की खुली अदालत में मौखिक सुनवाई का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को स्वीकार किया जाता है। न्यायालय के समक्ष पुनरीक्षण याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फडणवीस को क्लीन चिट देने संबंधी बंबई उच्च न्यायालय का फैसला एक अक्तूबर 2019 को निरस्त कर दिया था। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि इस कथित अपराध के लिये भाजपा नेता पर जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले अधिवक्ता सतीश उकी की अपील पर यह फैसला सुनाया था।
छह साल की सजा का है प्रावधान
जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के तहत चुनावी हलफनामे में जानकारी छिपाने के दोषी पाये जाने पर छह साल की सजा, जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है। फडणवीस को इससे पहले निचली अदालत और बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्लीन चिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मामला नहीं बनता। देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ नागपुर में दो आपराधिक मामले दर्ज हैं इनमें एक 1996 में मानहानि का है और दूसरा 1998 में धोखाधड़ी और ठगी का है। हालांकि इन मामलों में फडणवीस के खिलाफ आरोप तय नहीं हुए हैं।
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