शाह से बड़ी सियासी लकीर खींचने की चुनौती
नई दिल्ली,20 जनवरी (आरएनएस)। लो प्रोफाइल, सौम्य, मिलनसार और बेहतर सांगठनिक क्षमता रखने वाले जगत प्रकाश नड्डïा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान मिल गई है। अध्यक्ष बनने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती निवर्तमान अध्यक्ष अमित शाह से बड़ी सियासी लकीर खींचने की होगी। उन्हें विधानसभा चुनावोंं में न सिर्फ हार का सिलसिला थामना होगा, बल्कि राष्ट्रवाद के मोर्चे पर डटी मोदी सरकार के पक्ष में देश भर में वातावरण भी बनाए रखना होगा।
नड्डïा की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी ऐसे समय में हुई है जब देश की राजधानी में बेहद अहम माने जा रहे विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत की कड़ी विधानसभा चुनावों से नहीं जुड़ रही। लोकसभा के बाद पार्टी ने हरियाणा में जैसे तैसे सरकार बचाई तो उसे महाराष्ट्र के बाद झारखंड में सत्ता गंवानी पड़ गई। अब पद संभालते ही उनके सामने पहली चुनौती दिल्ली फिर बिहार और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव है। दिल्ली जहां पार्टी ने लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से क्लीन स्वीप किया है। जबकि बिहार में राजग ने 40 में से 39 तो पश्चिम बंगाल में उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है।
शाह की उपलब्धियों से होगी तुलना
नड्डïा के कामकाज की लगातार तुलना निवर्तमान अध्यक्ष अमित शाह से होगी। उस शाह से जिन्होंने अपने कार्यकाल में पार्टी को उन राज्यों में खड़ा किया, जिसकी पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। वर्ष 2018 में एक समय पार्टी 29 राज्यों में से 21 राज्यों और 68 फीसदी भूभाग पर छा गई थी। शाह के कार्यकाल के दौरान पार्टी 365 दिन और 24 घंटे चुनावी मोड में संगठन विस्तार में जुटी रही। उन्हीं के कार्यकाल में भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनने के साथ लोकसभा में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाली गैरकांग्रेस पार्टी बनी।
सुलझानी होगी विधानसभा चुनाव की गुत्थी
नड्डïा के सामने विधानसभा चुनाव में हार की गुत्थी सुलझाने की बड़ी चुनौती होगी। बीते लोकसभा चुनाव ने साबित किया है कि पीएम मोदी निर्विवाद रूप से देश के सबसे बड़े नेता हैं। बावजूद इसके पार्टी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रही। वर्ष 2018 के उत्तरार्ध से पार्टी ने मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड की सत्ता गंवा दी है। जबकि पहले तीन राज्योंं में विधानसभा चुनाव के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस का करीब-करीब सूपड़ा साफ कर दिया।
सांगठनिक क्षमता पर भरोसा
नड्डïा अध्यक्ष पद के लिए पीएम की पहली पसंद हैं। माना जा रहा है कि बेहतरीन सांगठनिक क्षमता और लो प्रोफाइल रह कर लक्ष्य हासिल करने की नड्डïा की कार्यशैली ने पीएम को प्रभावित किया है। विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए नड्डïा ने जहां देश के आधे से अधिक राज्यों के प्रभारी पद की जिम्मेदारी संभाली है। वहीं हिमाचल सरकार और केंद्र सरकार में मंत्री होने के करण उनमें बेहतर प्रशासिनक क्षमता भी है। लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद नड्डïा ने पार्टी को 80 में से 64 सीटें दिला कर अपनी सांगठनिक क्षमता का लोहा मनवाया।
शाह से अलग कार्यशैली
निर्वमान अध्यक्ष अमित शाह की राजनैतिक शैली बेहद आक्रामक और लक्ष्य के प्रति जुनूनी होने की है। इसके उलट नड्डïा की शैली चुप रह कर हर हाल में लक्ष्य हासिल करने की है। नड्डïा की अब तक की छवि शांत रह कर मिशन मोड में काम करने की है।
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