सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दिया 2 हफ्ते का समय

नई दिल्ली,06 जनवरी (आरएनएस)। नाबालिग रेप अपराधों पर त्वरित सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कई राज्यों के हाई कोर्ट को 2 और हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है जिसमें उसे वल्नरबल विटनेस कोर्ट रूम (असुरक्षित महसूस करने वाले चश्मदीदों के लिए खास तौर पर बनाये गये कोर्ट रूम) के गठन को लेकर अपनी-अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि नाबालिग बच्चों के साथ बढ़ते यौन अपराधों और अन्य अपराधों पर अंकुश के लिए हर जिले में अभी तक वल्नरबल विटनेस कोर्ट रूम बनाए नहीं जा सके हैं। 2018 में महाराष्ट्र में एक केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्यों को निर्देश दिया था कि हर जिले में वल्नरबल विटनेस कोर्ट रूम का गठन किया जाए, और इस संबंध पिछले साल 2019 में 4 अक्टूबर को नोटिस भी जारी किया था, लेकिन इस संबंध में कई राज्यों के हाई कोर्ट की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। जस्टिस चंद्रचूड और जस्टिस ऋषिकेश राय की बेंच ने देश में बढ़ते बाल यौन शोषण और अपराधों पर नियंत्रण के लिए हर जिले में वल्नरबल विटनेस कोर्ट रूम नहीं बनाए जाने को लेकर नाराजगी जताते हुए हाई कोर्ट को 2 अतिरिक्त हफ्ते का समय दिया है जिसमें उसे संबंधित राज्यों की रिपोर्ट दाखिल करनी होगी कि वल्नरबल विटनेस कोर्ट रूम गठित किए गए हैं या नहीं।
दिल्ली के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, असम, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडि़शा, पंजाब-हरियाणा, राजस्थान और मणिपुर राज्यों के हाई कोर्ट ने अभी तक इस संबंध में कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की है कि यहां पर स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया है या नहीं। वहीं स्पेशल कोर्ट में काउंसलर्स के अलावा जजों और वकीलों के प्रशिक्षण को लेकर किस तरह की सुविधाएं हैं, के बारे में भी नहीं बताया गया है।
तमिलनाडु में स्पेशल कोर्ट की समयसीमा
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तमिलनाडु में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (च्वबेव) एक्ट ऑफ 2012 के तहत ऐसे अपराधों की विशेष सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट की स्थापना के लिए 30 जनवरी, 2020 की समयसीमा तय की थी। वहीं कोर्ट ने यह आदेश भी दिया था कि उन न्यायिक जिलों में जहां पर 100 से 300 के बीच लंबित पॉक्सो मामले हैं वहां पर 1 स्पेशल कोर्ट और जिन न्यायिक कोर्ट में 300 से अधिक लंबित मामले हैं वहां दो स्पेशल कोर्ट गठित किए जाएं।
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