सीबीआई ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में किया एक और केस दर्ज
नयी दिल्ली,05 जनवरी (आरएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 1993 और 2005 के बीच की समय के दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में एक और केस दर्ज किया है। एम एस निप्पन डेन्रो इस्पात लिमिटेड और कुछ अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि पटियाला हाउस अदालत ने सभी आरोपियों नवीन जिंदल, पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारी नारायण राव, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता व अन्य 11 पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, विश्वासघात व भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं में आरोप तय करने का निर्देश अप्रैल 2016 में दिया था। उस समय घूस लेने के लिए उकसाने के आरोप तय नहीं किए गए थे। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने 1999-2005 तक गलत तरीके से मिले चार कोयला ब्लॉकों के आवंटन की बात को छुपाया था।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाले लोगों को ओबीसी और दलित विरोधी है घोषित कर दिया जाना चाहिए। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीडऩ के कारण वहां से आने वाले लोगों में अधिकतर शर्णार्थी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित वर्ग से हैं। उन्हें सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता कानून लेकर आए हैं।
नित्यानंद राय ने ओबीसी समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कोई सीएए का विरोध करता है तो उसे दलित विरोधी और ओबीसी विरोधी घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए का विरोद ओबीसी समुदाय पर हमला है। मु_ी भर लोग बाहर निकल आए हैं और संशोधित कानून का विरोध कर रहे हैं। ओबीसी लोगों को सिंह के समान गर्जना करनी चाहिए और प्रदर्शनकारियों से ज्यादा तेज आवाज उठानी चाहिए। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्रीय विद्यालयों में ओबीसी छात्रों को आरक्षण देने के लिए बधाई। हमारे प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व किया, सीएए लाए, पाकिस्तान से विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को वापस लाए। केवल एक ओबीसी ही ऐसा कर सकता था।
धर्म के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता: पासवान
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि कोई भी सरकार किसी भारतीय की नागरिकता को नहीं छीन सकती है। मंत्री ने नागरिकता संबंधित कदमों पर लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए यह बात कही। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी तथा लोक जनशक्ति पार्टी के नेता पासवान ने कहा कि चाहे दलित हों, आदिवासी हों, पिछड़ा हो, अल्पसंख्यक हो या उच्च जाति का हो, ये देश के मूल निवासी हैं, नागरिकता उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। उसे कोई भी सरकार छीन नहीं सकती। किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा। पासवान ने कहा कि 2003 में नागरिकता कानून में संशोधन किया गया जिसमें राष्ट्रीय नागरिक पंजी की अवधारणा तय हुई थी। 2004 में संप्रग की सरकार बनी जो इसे वापस ले सकती थी। लेकिन इसे वापस लेने की बजाय सात मई 2010 को लोकसभा में तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा था-यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का उपवर्ग होगा।
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