राज्यों में हार का मिथक नहीं तोड़ पा रही भाजपा

नई दिल्ली,23 दिसंबर (आरएनएस)। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने महाराष्ट्र के बाद झारखंड की सत्ता भी गंवा दी है। हरियाणा में किसी प्रकार सत्ता बचाने में कामयाब रही भाजपा को बीते एक साल में 5 राज्योंं (इससे पहले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान)की सत्ता गंवानी पड़ी है। संदेश साफ है। पार्टी राज्यों में हार का मिथक तोडऩे में कामयाब नहीं हो पा रही। वह भी तब जब पार्टी और मोदी सरकार एक के बाद एक राष्ट्रवादी एजेंडे को अमली जामा पहना रही है। जाहिर है कि झारखंड के निराशाजनक नतीजे के बाद भाजपा में चिंता है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी जिन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हारी, उन्हीं राज्यों में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। इसके बाद जिन दो राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में पार्टी हारी और हरियाणा में किसी तरह सत्ता बचाने में कामयाब रही, उन राज्योंं में पार्टी लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आसपास भी नहीं पहुंच पाई। वर्तमान झारखंड का ही उदाहरण लें तो पार्टी का वोट प्रतिशत लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब 17 फीसदी लुढ़क गया।
नाकाम साबित हो रहे क्षत्रप
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद से ही भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यों में भविष्य की राजनीति के लिए नया नेतृत्व उभारने पर जोर दिया। हालांकि परिणाम बताते हैं कि ऐसा कोई भी चेहरा अपने सूबे में अपनी मजबूत छवि बनाने में कामयाब नहींं हो पाया। वह भी तब जब पार्टी आलाकमान ने इन्हें कामकाज के मामले में न सिर्फ लगातार फ्री हैंड दिया, बल्कि विरोधी धड़े की आवाज को रत्ती भर तवज्जे नहीं दी। महाराष्ट्र में पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस, हरियाणा में वर्तमान सीएम मनोहर लाल और अब झारखंड में सीएम रघुवर दास कोई करिश्मा नहंी दिखा पाए। रघुवर की छवि तो उल्टे पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन गई।
भाजपा कैंप में चिंता के बादल
झारखंड के चुनाव परिणाम ने भाजपा नेतृत्व को सकते में डाल दिया है। पार्टी को उस समय करारी हार मिली है जब नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर देश की सियासत गरम है। पार्टी इस मोर्चे पर बेहद आक्रामक भूमिका निभा रही है। इसके अलावा चुनाव ऐसे समय में हुए जब राम मंदिर पर पक्ष में परिणाम आया। अनुच्छेद 370 को निरसत कर पार्टी और सरकार ने देश को बड़ा संदेश दिया। पार्टी के लिए मुश्किल यह है कि अब उसके सामने पहले दिल्ली, बिहार और उसकेबाद पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव है। इन तीनों ही राज्यों में पार्टी के पास कोई करिश्माई चेहरा नहीं है।
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