आंतरिक सुरक्षा की चुनौती का सामना करने में सीमा सुरक्षा बल सक्षम:शाह

नईदिल्ली ,19 दिसंबर (आरएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सशस्त्र सीमा बल की 56वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सशस्त्र सीमा बल ने सदैव निष्ठा के साथ कार्य किया है और देश के सामने अनेकों आंतरिक चुनौतियों के समय इस बल के जवानों ने प्राणों की चिंता किए बगैर देश में शांति व्यवस्था स्थापित करने में अपना अतुलनीय योगदान दिया है। अमित शाह ने कहा कि जब भी भारत की एकता और अखंडता का इतिहास लिखा जाएगा सशस्त्र सीमा बल का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल ने विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों में रहते हुए नागरिकों को एक इकाई के रूप में जोडऩे का काम किया है। शाह का कहना था कि चाहे मित्र राष्ट्र की सीमाएं हों, नक्सल प्रभावित क्षेत्र हो या कश्मीर में तैनाती, हर समय इस बल के जवान राष्ट्र के लिए बलिदान को तैयार रहते हैं।
उन्होंने शहीद नीरज क्षेत्री को याद करते हुए कहा कि झारखंड में शहीद इस जवान की शहीदी आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। उन्होंने यह भी बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने शहीद जवानों की याद में पुलिस स्मारक बनाया है जो पुलिस की वीर गाथा कहने के लिए तैयार किया गया है।
उनका कहना था कि आज विश्व में आवागमन सरल होने से जो देश भारत में शांति नहीं देखना चाहते वह तरह-तरह के कुप्रयास करते रहते हैं किंतु सशस्त्र सीमा बल के जवान उनके मंसूबों को नाकाम करते रहते है । नशीले पदार्थों की तस्करी हो या वामपंथी उग्रवाद सभी को रोकने में सशस्त्र सीमा बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने भारत-नेपाल सीमा का जिक्र करते हुए कहा कि कई बार विदेशी नागरिकों को इस सीमा से घुसपैठ करते हुए सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने पकडा है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा में सशस्त्र सीमा बल के जवानों का सकारात्मक योगदान होता है। उनका यह भी कहना था कि चुनाव लोकतंत्र का महोत्सव होता है जिसमें शांतिपूर्ण मतदान कराने में इस बल के जवानों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और विभिन्न मौकों पर सशस्त्र सीमा बल के जवानों का मानवीय चेहरा लोगों को जोडने का काम करता है। सशस्त्र सीमा बल पहला ऐसा सुरक्षा बल है जिसमें वर्ष 2007 में महिलाओं को शामिल किया गया और वह कंधे से कंधा मिलाकर महिला शक्ति को प्रेरणा देने का काम कर रही हैं।
अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार इस बात का प्रयास कर रही है कि प्रत्येक जवान जो सीमा पर तैनात है, अपने परिवार के साथ कम से कम सौ दिन व्यतीत कर सके ।
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