राष्ट्रपति से स्वीकृति के बाद बना पोत पुनर्चक्रण विधेयक अधिनियम

नईदिल्ली,17 दिसंबर (आरएनएस)। राष्ट्रपति द्वारा 13 दिसम्बर को स्वीकृति मिलने के बाद पोत पुनर्चक्रण विधेयक अधिनियम बन गया है। अधिनियम का उद्देश्य पोतों के पुनर्चक्रण का नियमन करना है। इसके लिए कुछ अंतर्राष्ट्रीय मानक तय किए गए हैं तथा इन मानकों को लागू करने के लिए कानूनी व्यवस्था तैयार की गई है। सरकार ने 28 नवम्बर को हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित व पर्यावरण अनुकूल पोत पुनर्चक्रण सम्मेलन, 2009 को स्वीकृति प्रदान का निर्णय लिया था।
पोत पुनर्चक्रण अधिनियम खतरनाक सामग्रियों के उपयोग को प्रतिबंधित करता है। नए पोतों के लिए खतरनाक सामग्री के उपयोग पर प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू होगा (विधेयक के लागू होने के दिन से)। वर्तमान पोतों को इस नियम को लागू करने के लिए 5 वर्ष का समय दिया जाएगा। सरकार द्वारा संचालित सैन्य पोतों और गैर-व्यावसायिक पोतों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। पोतों का सर्वे किया जाएगा और खतरनाक सामग्री के संदर्भ में प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
इस अधिनियम के तहत पोत पुनर्चक्रण सुविधाएं अधिकृत होनी चाहिए और केवल इन्हीं अधिकृत पुनर्चक्रण सुविधाओं में पोतों का पुनर्चक्रण किया जाना चाहिए। पोत विशेष आधारित योजना के तहत पोतों का पुनर्चक्रण किया जाना चाहिए। एचकेसी नियमों के अनुसार भारत में पोतों के पुनर्चक्रण के लिए रेडी फॉर रिसाइक्लिंग का प्रमाण पत्र भी होना चाहिए।
अधिनियम पुनर्चक्रण कंपनियों को एक वैधानिक कार्य की जिम्मेदारी देता है जिसके तहत पोतों के खतरनाक अपशिष्ट का प्रबंधन सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल होना चाहिए। नए अधिनियम में वैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन के मामलों को दंडनीय बनाया गया है।
हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित व पर्यावरण अनुकूल पोत पुनर्चक्रण सम्मेलन, 2009 को भारत द्वारा सहमति देने तथा पोत पुनर्चक्रण अधिनियम, 2019 के लागू होने से हमारे पोत पुनर्चक्रण उद्योग को सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार और पर्यावरण अनुकूल उद्योग के रूप में प्रसिद्धि मिलेगी और भारत इस उद्योग का अग्रणी देश बन जाएगा।
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