किसानों की आय दोगुना करने पर संसदीय समिति ने की सिफारिश

नई दिल्ली,15 दिसंबर (आरएनएस)। कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ने कहा है कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के लिये आवंटन को बढ़ाकर कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत किया जाए, ताकि 2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने तथा भारत को 5000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
संसद में हाल ही में पेश कृषि संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कृषि अनुसंधान और शिक्षा पर खर्च दक्षिण अफ्रीका और चीन जैसे देशों से कम है तथा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग को आवंटित बजट का 75 प्रतिशत वेतन, पेंशन आदि पर खर्च हो जाता है । इस प्रकार अनुसंधान कार्यकलापों पर केवल 25 प्रतिशत राशि ही शेष बचती है। वहीं विभाग के प्रतिनिधियों ने कृषि संबंधी संसद की स्थायी समिति को यह बात बतायी। समिति ने विभाग से इस विषय को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षो के दौरान कृषि सकल घरेलू उत्पाद में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा का अंश 0.61 प्रतिशत रहा है जो अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। चीन कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा पर अपने कृषि सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत खर्च करता है। दक्षिण अफ्रीका सहित कई छोटे देश भी कृषि अनुसंधान पर भारत से अधिक खर्च करते हैं। समिति को यह बताया गया कि विभाग इस बात पर जोर दे रहा है कि कृषि अनुसंधान और शिक्षा के लिये आवंटन को बढ़ाकर कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत कर दिया जाए। रिपोर्ट के अनुसार समिति को यह भी बताया गया कि 2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने तथा भारत को 5000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का उद्देश्य प्राप्त करने के लिये कृषि अनुसंधान में अधिक निवेश आवश्यक है तथा इसके बिना इन लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता। समिति का मत है कि चूंकि आवंटित निधियों का बड़ा भाग वेतन, पेंशन आदि पर खर्च हो जाता है इसलिये कृषि अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये विभाग को और निधियां प्रदान की जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है, कि कृषि क्षेत्र के महत्व और सकल घरेलू उत्पाद में इसके योगदान को देखते हुए समिति सिफारिश करती है कि विभाग इस मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाये ताकि कृषि अनुसंधान और शिक्षा के लिये आवंटन के प्रतिशत अंश में धीरे धीरे बढ़ोत्तरी की जा सके।
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