सुप्रीम कोर्ट से दया याचिका के लिए नियम-कायदे तय करने की मांग
नई दिल्ली,12 दिसंबर (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट में दया याचिकाओं के समयबद्ध तरीके से निपटारे के लिए एक याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि दया याचिकाओं की स्पष्ट प्रक्रिया, नियमों और दिशा-निर्देशों के लिए केंद्र को आदेश दिया जाए। अधिवक्ता शिवकुमार त्रिपाठी की ओर से दायर याचिका में दया याचिकाओं (मर्सी पेटिशन) को एक तय समयसीमा में निपटाने के लिए केंद्र को दिशा-निर्देश देने की अपील की गई है।
इसके साथ ही यचिका के जरिए यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि अगर दया याचिका का निपटारा तय समय में नहीं किया गया तो उसके परिणाम भी भुगतने होंगे। याचिका में कहा गया है कि कुछ ही मामलों में ऐसा हुआ है कि दया याचिकाओं की सुनवाई में खासी देरी हो जाती है। ऐसे मामलों में दोषियों को इस देरी का लाभ मिल जाता है और वह अपनी सजा-ए-मौत को आजीवन कारावास में बदलवा लेते हैं। यचिका में कहा गया है कि इससे मामलों में पीडित और उनके परिजन ठगा हुआ महसूस करते हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि दया याचिकाओं के निपटारे के लिए कोई तय प्रक्रिया, नियम और दिशा-निर्देश नहीं हैं, इसलिए समयबद्ध तरीके से इनके निपटारे की व्यवस्था होनी चाहिए। कई दफा दया याचिकाओं के निपटारे में भेदभाव और मनमानी की जाती है। दया याचिकाओं के निपटारे में बेवजह की देरी से आम जनता में क्षोभ और संशय बढ़ता है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 के दिल्ली के निर्भया दुष्कर्म मामले में भी एक दोषी की दया याचिका को खारिज किए जाने की मांग उठने लगी है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि अमेरिका में दोषी माफी के लिए एक फार्म भरकर राष्ट्रपति से अपनी सजा माफ करा सकता है। यह फार्म तय नियमों और मानकों के साथ आसानी से उपलब्ध होता है। इसीतरह इंग्लैंड में भी दया की अपील करने के इच्छुक व्यक्ति को गृह सचिव को एक आवेदन देना होता है।
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