नागरिकता संशोधन बिल गलत साबित हुआ तो ले लेंगे वापस:शाह

नई दिल्ली,09 दिसंबर (आरएनएस)। होम मिनिस्टर अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। उन्होंने विधेयक पेश करते हुए विपक्ष के ऐतराजों का जवाब देते हुए कहा कि यदि आप लोग इसे गलत साबित कर देंगे तो हम बिल वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर चिंतित हैं, उसी तरह पड़ोसी मुल्कों से आने वाले माइनॉरिटी समुदाय के लोगों के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं।
विधेयक को पेश किए जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी। शिवसेना ने बिल को पेश करने के समर्थन में वोट किया है। अब सत्तापक्ष और विपक्ष बिल पर चर्चा करेंगे जिसके बाद इसपर वोटिंग कराई जाएगी। यदि विधेयक लोकसभा से पास हो जाता है तो इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।गृह मंत्री शाह ने कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया। शाह ने सदन में यह भी कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती। शाह ने जब विधेयक पेश करने के लिए सदन की अनुमति मांगी तो कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों को लक्ष्य कर लाया गया विधेयक है। इस पर गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक देश के अल्पसंख्यकों के 0.001 प्रतिशत भी खिलाफ नहीं है।
अमित शाह और अधीर रंजन के बीच बहस
सियासी विवाद के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल पेश कर दिया। उनके बिल पेश करते ही सदन में हंगामा मच गया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल के जरिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर अमित शाह ने जवाब दिया कि ये बिल देश के अल्पसंख्यकों के .001 फीसदी खिलाफ भी नहीं है।
बिल पर सियासी संग्राम
बता दें कि इस बिल को लेकर सियासी संग्राम मचा हुआ है। कांग्रेस सहित कई दल यह कहते हुए इसका विरोध कर रहे हैं कि ये बिल अल्पसंख्यक विरोधी है। जबकि सरकार का मानना है कि ये बिल देश में रह रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। इस मुद्दे पर सरकार का साथ दे रहे हैं जनता दल, अकाली दल और लोजपा। वहीं शिवसेना इसमें बदलाव की मांग कर रही है। कांग्रेस का साथ टीएमसी, यूआईडीएफ, समाजवादी पार्टी और लेफ्ट पार्टियां दे रही हैं।
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