सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर कश्मीर में कट्टरपंथी
नई दिल्ली,23 नवंबर (आरएनएस)। कश्मीर में जबरदस्त चौकसी के बावजूद कट्टरपंथ फल-फूल रहा है। युवाओं का ब्रेनवाश करने में जुटे मौलवियों पर सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर है। एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि कट्टरपंथ लगातार चुनौती बना हुआ है। दक्षिण कश्मीर इसका गढ़ बना है जहां बाहर से आए कई मौलवी एजेंसियों की रडार पर हैं।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि बड़ी संख्या में ग्रामीण युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश की जा रही है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कट्टरपंथ का सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसके आगोश में आए स्थानीय युवा बंदूक थामने से नहीं हिचकिचाते। सुरक्षा बलों ने लगातार ग्रामीणों के बीच कट्टरपंथ के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाया है, लेकिन ग्रामीणों का डर समाप्त करने में वे सफल नहीं हुए हैं। दक्षिण कश्मीर के कई जिलों में कट्टरपंथी ताकतों,आतंकियों और अलगाववादियों का गठजोड़ सक्रिय है।
सुरक्षा बल से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद की तरह ही कट्टरपंथ के खिलाफ सघन अभियान की जरूरत महसूस की जा रही है। क्योंकि कट्टरपंथ के जरिये ही युवाओं को आतंकी बनाने का अभियान चल रहा है। इसके लिए धार्मिक प्रतिष्ठानों का सहारा लिया जा रहा है। धारा 370 समाप्त करने के बाद बड़ी संख्या में युवाओं का ब्रेनवाश करने की घटनाओं का संज्ञान लिया गया है। सुरक्षा बल से जुड़े एक अन्य अधिकारी के मुताबिक उन जगहों की मैपिंग की गई है जहां कट्टरपंथी प्रचार- प्रसार की साजिश चल रही है। पुलवामा और शोपियां के कई गांवों में सुरक्षा बलों ने कट्टरपंथ के शिकार युवाओं के घर वालों को आगाह भी किया है। सूत्रों ने कहा कि सैकड़ों की संख्या में गुमराह युवक कट्टरपंथी ताकतों की गिरफ्त में हैं। इनपर नजर रखी जा रही है। सूत्रों ने कहा कि स्थानीय आतंकियों की भर्ती को लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है।
जवानों को सतर्कता बरतने के निर्देश
धारा 370 समाप्त करने के बाद से स्थिति सामान्य करने के लिए बड़ी संख्या में तैनात सुरक्षा बलों को स्पष्ट निर्देश हैं कि वे आतंकियों के सफाए के अभियान में कोई कोताही ना बरतें। अधिकारियों ने कहा कि यह मौका है कि आतंकियों का पूरी तरह से सफाया किया जा सके। लेकिन यह देखना जरूरी है कि नए आतंकियों की भर्ती ना हो। क्योंकि पिछले कुछ सालों में जितने आतंकियों को मारा जाता है उतनी ही संख्या में नए आतंकी बन जाते हैं। एजेंसियों को आशंका है कि कट्टरपंथी तत्व थोड़ी भी ढिलाई बरते जाने पर फिर से सिर उठाने का प्रयास कर सकते हैं और नई भर्तियों का सिलसिला तेज हो सकता है।
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