राज्यसभा के मार्शल्स की नई वर्दी पर पुनर्विचार के आदेश
नई दिल्ली,19 नवंबर (आरएनएस)। राज्यसभा के मार्शलों की परिवर्तित वर्दी सेना की वर्दी से मिलती-जुलती होने के कारण आई आपत्तियों के बाद राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने राज्यसभा सचिवालय को नए परिधान के निर्णय पर दोबारा विचार करने का आदेश दिया है।
एक दिन पहले संसद के शीतकालीन शुरू होने पर राज्यसभा के 250वें सत्र में मार्शल्स नए परिधान में नजर आए थे, जिसके बाद विपक्षी दलों ने भी तंज कसने शुरू कर दिये थे। मंगलवार को सदन में सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि मार्शल्स के लिए नए ड्रेस कोड पर कई सलाह के बाद फैसला लिया गया था, लेकिन हमें कुछ राजनीतिक और कुछ जाने-माने लोगों से ड्रेस कोड को लेकर टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं। इसलिए मैंने सचिवालय से इस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। सोमवार को जैसे ही राज्यसभा का 250वां सत्र शुरू हुआ, मार्शल्स को सभापति एम.वेंकैया नायडू के पास सेना की वर्दी जैसे नीले रंग के परिधान में देखा गया। सदन के कई सदस्य मार्शल्स के नए परिधान को देख आश्चर्य में पड़ गए। सूत्रों के अनुसार, नौसेना के अधिकारियों की तरह के उजले परिधान मार्शल्स गर्मी के मौसम में पहनेंगे। मार्शल्स को दिया गया नया परिधान किसी सैन्यकर्मी के परिधान जैसा लगता है। इसके साथ एक कैप दी गई है, जिससे मार्शल पुलिस या सैन्य अधिकारी जैसे दिखते हैं। दरअसल, सदन में अध्यक्ष की कुर्सी के पीछे खड़े होने वाले मार्शल सेना के जैसी यूनिफॉर्म पहने नजर आए। अब से पहले ये मार्शल बंद गले की कमीज और साफा पहने नजर आते थे। मार्शलों ने मिलिट्री स्टाइल की टोपी के साथ नीले रंग की यूनिफॉर्म पहनी हुई थी और कंधे पर पट्टियां थीं। वहीं, इसको लेकर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने विरोध किया था। उन्होंने अपनी असहमति एक ट्वीट के जरिए जाहिर की जिसमें उन्होंने लिखा था कि सेना से संबंध न रखने वाले लोगों द्वारा सैन्य यूनिफॉर्म की नकल करना और पहनना अवैध है और सुरक्षा के लिए जोखिम है।
साल 1950 के बाद पहली बार हुआ बदलाव
राज्यसभा सूत्रों के मुताबिक मार्शल की यूनिफॉर्म में अंतिम परिवर्तन साल 1950 में हुआ था, तब से अब तक यह पहला बदलाव है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के मीडिया सलाहकार एए राव ने बताया, कोई बदलाव किए हुए लंबा समय बीत गया था, इसलिए उपराष्ट्रपति ने सोचा कि हमें यह अब करना चाहिए।
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