हरियाणा विधानसभा चुनाव
नई दिल्ली ,13 सितंबर (आरएनएस)। विपक्ष में बिखराव के कारण हरियाणा में भाजपा की स्थिति बेहद मजबूत मानी जा रही है। पार्टी भी विधानसभा चुनाव में एक और जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है। इसके बावजूद जाट बिरादरी के आधा दर्जन विधायक और मंत्री अपनी पुरानी सीट की जगह नई सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। इनकी पसंद जाटबहुल नहीं बल्कि गैरजाट बहुल सीट हैं। बीते चुनाव में दलबदलुओं पर मेहरबान रही पार्टी इस बार अरसे से पार्टी से जुड़े नेताओं पर दांव लगाना चाहती है।
दरअसल लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य में विपक्ष का सूपड़ा तो साफ कर दिया था, मगर जाट और मुस्लिमबहुल सीटों पर विपक्ष से पार नहीं पा सकी थी। इस चुनाव में पार्टी को राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 79 सीटों पर बढ़त मिली थी। पार्टी को जाट और मुस्लिम बहुल 11 सीटों पर मोदी लहर के बावजूद सफलता नहीं मिल पाई थी। इनमें जाट बिरादरी के कद्दावर दो मंत्री भी शामिल थे। यही कारण है कि इस बिरादरी से जुड़े नेता इस बार गैरजाट बहुल सीट पर चुनावी किस्मत आजमाना चाहते हैं। इसके लिए इस बिरादरी के नेता अपने अपने तरीके से पार्टी नेतृत्व के समक्ष गुहार भी लगा रहे हैं।
दलबदलुओं पर नहीं बरसेगी मेहरबानी
चुनाव में इस बार पार्टी दलबदलुओं से ज्यादा अरसे से पार्टी से जुड़े रहे नेताओं पर ज्यादा भरोसा करेगी। सूत्रों का कहना है कि चूंकि इस बार राज्य में पार्टी की स्थिति बेहद मजबूत है। इसलिए तय किया गया है कि टिकट के मामले में पार्टी के खांटी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भरोसा किया जाए। इससे राज्य में विश्वस्त और निष्ठïावान नेताओं की टीम खड़ी होगी। दूसरे दलों से आए कद्दावर नेताओं को ही पार्टी को टिकट मिलेगा। गौरतलब है कि पिछली बार पार्टी ने करीब दो दर्जन सीटों पर दलबदलुओं को उम्मीदवार बनाया था।
एक तिहाई विधायकों का टिकट कटना तय
पार्टी ने बीते छह महीने में सीट वार तीन बार विधायकों की स्थिति की समीक्षा की है। पार्टी के 47 में से 24 विधायकों-मंत्रियों के प्रति उनकी सीटों पर गहरी नाराजगी है। ऐसे में नेतृत्व कम से कम एक तिहाई विधायकों का टिकट काटेगी। नेतृत्व को डर है कि ऐसा नहीं करने पर विधायकों के खिलाफ नाराजगी पार्टी पर भारी पड़ सकती है।
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