भारत 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को बनाएगा उपजाऊ: मोदी

नईदिल्ली,09 सितंबर (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज एक्सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा में 14वें मरुस्थलीकरण रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-14) की उच्चस्तरीय बैठक का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सेंट विंसेंट और ग्रेनाडिनेस के प्रधानमंत्री राल्फ गोंज़ाल्विस, संयुक्त राष्ट्र संघ की उप-महासचिव सुअमीना जेन मोहम्मद, यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहीम थैव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबू सुप्रियो और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने रियो सम्मेलन के सभी तीन प्रमुख विषयों को समाधान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सभी तीन सम्मेलनों के लिए कॉप के जरिए भारत ने वैश्विक बैठकों की मेज़बानी की है। उन्होंने कहा, ‘आगे कदम बढ़ाते हुए भारत को जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण के मुद्दों को हल करने में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए पहलों का प्रस्ताव करने में खुशी होगी।Ó
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने घोषणा की, ‘भारत अब से 2030 तक 21 मिलियन हेक्टेयर से 26 मिलियन हेक्टेयर तक की डीग्रेडेड भूमि को ठीक करने की महत्वाकांक्षा रखता है।Ó इसके मद्देनजर अत्यंत डीग्रेडेड भूमि के 26 मिलियन हेक्टेयर रकबे की भूमि उत्पादकता तथा जैव प्रणाली को बहाल करने पर ध्यान दिया जाएगा। इसके तहत डीग्रेडेड कृषि योग्य, वन और अन्य परती जमीनों को केन्द्र में रखा जाएगा।
उन्होंने भूमि क्षरण नियंत्रण लक्ष्य निर्धारण कार्यक्रम के संबंध में यूएनसीसीडी के सदस्य देशों के क्षमता निर्माण तथा समर्थन के लिए एक वैश्विक तकनीकी समर्थन संस्थान बनाने के भारतीय प्रस्ताव की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘मुझे यह बताने में हर्ष हो रहा है कि भारत को सस्ती उपग्रह और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के जरिए भूमि उद्धार रणनीतियों के विकास के लिए अन्य मित्र देशों की सहायता करने में खुशी होगी।Ó
जल की भूमिका के महत्व को रेखांकित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने यूएनसीसीडी के नेतृत्व का आह्वान किया कि वह एक वैश्विक जल एजेंडा के बारे में विचार करे, जो भूमि क्षरण नियंत्रण रणनीति के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘जब हम डीग्रेडेड भूमि की समस्या हल करते हैं, तो हम जल की कमी की समस्या भी हल करते हैं। जलापूर्ति बढ़ाना, जल की पुन:पूर्ति करना, जल अपव्यय को कम करना और मिट्टी की नमी को कायम रखना, भूमि तथा जल रणनीति का अहम हिस्सा है।Ó
मोदी ने एक बार इस्तेमाल करने योग्य प्लास्टिक के खतरे को दूर करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, ‘मेरी सरकार ने घोषणा की है कि भारत आने वाले वर्षों में एक बार इस्तेमाल करने वाले प्लास्टिक को समाप्त करेगी। मेरा मानना है कि समय आ गया है कि विश्व भी एक बार इस्तेमाल योग्य प्लास्टिक को अलविदा कह दे।Ó
प्रकाश जावड़ेकर ने अपने वक्तव्य के शुरूआत में हरित गतिविधियों के प्रति प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पेरिस शिखर वार्ता में अग्रणी भूमिका निभाई थी। वे 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की प्रेरक शक्ति हैं।Ó
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि कॉप-14 पर्यावरण संबंधी अति महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए एक विश्व मंच के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा, ‘विश्व भर के 190 से अधिक देश, 100 मंत्री और 8000 भागीदार यूएनसीसीडी कॉप-14 में भूमि बहाली और जलवायु के संवर्धन पर चर्चा करने तथा इस दिशा में काम करने के लिए एकजुट हुए हैं।Ó
सेंट विंसेंट और ग्रेनाडिनेस के प्रधानमंत्री राल्फ गोंज़ाल्विस ने विस्तार से जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण पर बात की। उन्होंने इन मुद्दों को हल करने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘हम सब जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल करने तथा यूएनसीसीडी कॉप-14 को अग्रणी बनाने के लिए एकजुट हैं। मैं पर्यावरण की दिशा में भारत सरकार की भूमिका और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहलों की कद्र करता हूं।Ó
न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाले पांच शिखर सम्मेलनों के सिलसिले में यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहीम थैव ने कहा, ‘अपनी जमीनों की बड़े पैमाने पर बहाली, सुरक्षा और प्रबंधन के बारे में हम यहां जिस समझौते पर पहुंचेंगे और इस बात पर विचार करेंगे कि निजी क्षेत्र की भागीदारी को इस विषय में कैसे संभव बनाया जाए, तो इससे हमें सभी को सम्मिलित करते हुए अपनी कार्ययोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।Ó
पिछले सप्ताह के दौरान डीग्रेडेड भूमि को ठीक करने के विषय में होने वाली बातचीत के मद्देनजर पर्यावरण मंत्री ने आज एक प्रेस सम्मेलन में यह बताया की कि दिल्ली घोषणा पत्र कल घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली घोषणा पत्र का मसौदा तैयार है, पिछले सप्ताह के दौरान होने वाली चर्चा बहुत रचनात्मक रही। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां सभी ने एकमत से राय जाहिर की है।Ó
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