सरकार द्वारा धारा 371 के साथ कोई छेडख़ानी नहीं की जाएगी:शाह

गुवाहाटी,08 सितंबर (आरएनएस)। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने उत्तर-पूर्व काउंसिल की 68 वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर-पूर्व की भाषाओं तथा संस्कृतियों का विशेष महत्व है। शाह ने भारत रत्न भूपेन दा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उत्तर-पूर्व ने देश को महान कलाकार दिया और भूपेन दा एक भाषा के नहीं बल्कि संगीत का मर्म जानने वाले कलाकार थे जिनका पूरा जीवन उत्तर-पूर्व की संस्कृति के लिए समर्पित था।
उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व में सैकडों जनजातियां और सामाजिक ग्रुप है तथा सैकड़ों बोलियां बोली जाती है, हमारा दायित्व है कि उत्तर-पूर्व की संस्कृति और बोलियों एवं भाषाओं को बचाकर रखते हुए, उन्हें संरक्षित रखते हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें। शाह का कहना था कि यहां के संगीत और साहित्य को छोड़कर यदि विकास किया जाता है तो उसके कोई मायने नहीं होगें।
उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्व और शेष भारत का जुड़ाव पुरातन काल से है जिसका जिक्र महाभारत के समय से मिलता है किंतु गुलामी के कालखंड के अंदर स्वरूप बिगाड़ा गया। उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी ने विकास को गति दी और आजादी के बाद बाकी देश के 70 साल के विकास की तुलना में उत्तर-पूर्व का 5 साल का विकास कहीं अधिक है और आज उत्तर-पूर्व विकास के लिए जाना जाता है 7 शाह का कहना था कि उत्तर-पूर्व का विकास मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है और जो विकास यात्रा 2014 में यात्रा शुरू की गई है, 2022 आते-आते पूर्णता को प्राप्त करेगी। शाह का कहना था कि उत्तर-पूर्व के मात्र 8 राज्य नहीं बल्कि अष्टलक्ष्मी हैं जो संपूर्ण भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
शाह ने कहा कि जो गांव विकास में पीछे हैं उन्हें साथ में शामिल करना होगा क्योंकि जब गांव विकसित होंगे, जिले विकसित होंगे तब राज्य विकसित होगा और तभी समग्र रूप से देश विकसित होगा। शाह ने कहा कि विकास का प्रमाण हमेशा जनता देती है और 2019 में जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत देकर यह प्रमाणित कर दिया। उनका यह भी कहना था कि आज उत्तर-पूर्व के आठों राज्यों के मुख्यमंत्री गैर-कांग्रेसी है।
गृहमंत्री ने कहा कि पहले एनईसी केवल एडवाइजरी काउंसिल थी किंतु अब यह प्लानिंग और इंप्लीमेंटेशन काउंसिल के रूप में भी कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि 2022 तक उत्तर-पूर्व के सभी 8 राज्य रेल तथा वायु कनेक्टिविटी से जुड जाएंगे। उन्होंने कहा कि 13 वें फाइनेंस कमीशन में उत्तर-पूर्व का बजट 3376 करोड़ था जिसे नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद 14वें फाइनेंस कमीशन में 1.5 गुना बढाकर 5053 करोड़ रुपए किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि एनईसी बजट का 30 प्रतिशत हिस्सा अति पिछडे तथा अविकसित क्षेत्रों के लिए खर्च किया जाएगा।
उनका का कहना था कि ढाका के साथ हुए सीमा समझौते से उत्तर-पूर्व का देश के विकास में योगदान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यहां की प्राकृतिक संपदा और असीम संभावनाओं को देखते हुए मैं कह सकता हूं कि विकास कार्य होने से उत्तर-पूर्व के राज्य देश के जीडीपी कंट्रीब्यूशन में शीर्ष स्थान पर होंगे।
शाह ने कहा कि एनआरसी का काम एक समय मर्यादा के अंदर हुआ है और यह हमारा संकल्प है कि भारत सरकार एक भी घुसपैठिए को यहां रहने नहीं देगी।
उन्होंने संसद में प्रस्तुत धारा 370 के बिल पर हुए विरोध का जिक्र करते हुए कहा कि विरोध का अधिकार लोकतंत्र में है लेकिन धारा 371 को जोड़कर भ्रामक वक्तव्य दिए गए। उन्होंने बताया कि धारा 370 अस्थाई व्यवस्था थी जबकि धारा 371 के विभिन्न उपबंधों में उत्तर-पूर्व के लिए विशेष प्रावधान हैं और नरेंद्र मोदी सरकार धारा 371 का संपूर्ण सम्मान करती है और उसके साथ कोई छेडख़ानी नहीं की जाएगी। शाह ने यह भी कहा कि जो लोग नहीं चाहते कि उत्तर-पूर्व में शांति रहे या उत्तर-पूर्व विकास के कार्यों में सहायक हो उन लोगों द्वारा यह भ्रम की स्थिति है फैलाई जाती है।
शाह ने उत्तर-पूर्व के राज्यों में सीमा विवाद के संबंध में कहा कि जब भारत और बांग्लादेश का सीमा विवाद समाप्त हो सकता है तो राज्यों के बीच सीमा विवाद को क्यों नहीं सुलझाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व के सीमा विवाद को सुलझाने का वक्त आ गया है।
उन्होंने कहा कि आज उत्तर-पूर्व में आतंकवाद की घटनाओं में बहुत कमी हुई है किंतु अभी भी इस पर कार्य किया जाना है। शाह का कहना था कि जो हथियार डालेगा उसके लिए हमारा मन खुला हुआ है लेकिन केंद्र तथा राज्य सरकारों की नीति आतंक का साथ देने वालों के लिए जीरो टॉलरेंस की होनी चाहिए। शाह का कहना था कि देश की सुरक्षा के लिए उत्तर-पूर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है तथा उत्तर-पूर्व की कानून व्यवस्था के लिए 2022 के लक्ष्य तय करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार उत्तर-पूर्व के विकास के लिए दृढ संकल्प है तथा 2014 के बाद उत्तर-पूर्व में अनेकों विकास कार्य किए गए हैं।
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