तीज-त्यौहार, बोली और भाषा हमारी पहचान: श्री भूपेश बघेल

रायपुर, 15  अगस्त (आरएनएस)। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल आज यहां गोंडवाना भवन टिकरापारा में आयोजित राष्ट्रीय भोजली महोत्सव में शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का स्वागत परम्परागत रूप से पगड़ी पहनाकर किया गया। कार्यक्रम का आयोजन गांेडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति और छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। इस अवसर पर गोंड समाज प्रमुख लाल तारकेश्वर प्रसाद खुसरो, गोड़ समाज के पदाधिकारी सहित ओडिशा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए सामाजिक बंधु उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज को स्वतंत्रता दिवस ,रक्षाबंधन पर्व और भोजली पर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, बोली-भाषा, रहन-सहन और तीज-त्यौहार हमारी पहचान का अभिन्न हिस्सा है। हमें इन्हें बचाकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि पहले भोजली का त्यौहार गांव-गांव में परम्परागत उत्साह के साथ मनाया जाता था। लोग भोजली बदते थे और भोजली का रिश्ता खून के रिश्ते से भी बड़ा होता था। हमारी यह परम्परा समाप्त हो रही थी। आदिवासी समाज ने इस परम्परा को न सिर्फ पुनर्जीवित किया है बल्कि जगह-जगह इसका बड़े स्तर पर आयोजन कर इसे एक बार फिर समाज की परम्परा का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अपनी परम्परा के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने हरेली,  विश्व आदिवासी दिवस, तीज, छठ, माता कर्मा जयंती पर सामान्य अवकाश की घोषणा की है।

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