लोकसभा में भी पास हुआ जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल

नईदिल्ली,06 अगस्त (आरएनएस)। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिये जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के अंतर्गत दो संकल्प और एक बिल विचार तथा पारित करने के लिए प्रस्ताव पेश किये जिसमें 370 (1) के प्रावधानों के अनुसार जम्मू और कश्मीर के लिए संविधान का अध्यादेश, 370 (3) के अनुसार 370 को खत्म करने का संकल्प एवं जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन के लिए विधेयक शामिल था।
शाह का कहना था कि उनकी सरकार देश की भलाई के लिये निर्णय लेने में पीछे नहीं हटेगी। इस सरकार का उद्देश्य घाटी की खुशहाली के लिए काम करना है, घाटी के युवाओं के लिये काम करना है। उनका कहना था कि मोदी सरकार युवाओं को अच्छा भविष्य देना चाहती है, उनको अच्छी शिक्षा, अच्छा रोजगार देना चाहती है, उनको संपन्न बनाना चाहती है ताकि भारत के दूसरे हिस्सों का जिस प्रकार विकास हुआ है उसी तरह की घाटी का भी विकास हो।
अमित शाह ने कहा कि पूरे दिन की बहस में किसी भी सदस्य ने धारा 370 के फायदों की बात नहीं की क्योंकि धारा 370 से कोई फायदा नहीं है। उन्होंने धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ होने वाले छल का जिक्र करते हुए कहा कि धारा 370 के कारण शिक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं हो पाई। यह धारा महिला विरोधी, गरीब विरोधी, आदिवासी विरोधी है। उनका कहना था कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र प्रफुल्लित नहीं हुआ, भ्रष्टाचार बढ़ा और चरम सीमा पर पहुंच गया। उनका यह भी कहना था कि धारा 370 के हटने से किसी को कोई मतलब नहीं है वहाँ भ्रष्टाचार की जांच चल रही है इसलिए इतना हो-हल्ला हो रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि घाटी के लोग हमारे हैं, हम उनको सीने से लगाएंगे। अगर उनके मन में कोई शंका है तो हम चर्चा करेंगे किंतु पाकिस्तान से कृपा पाने वालों से कोई चर्चा नहीं होगी, हुर्रियत से भी कोई चर्चा नहीं होगी।
शाह ने यह भी कहा कि मैंने जब भी संसद में जम्मू कश्मीर की बात की है उसमे हमेशा पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर और अक्साई चीन भी शामिल है। विपक्ष द्वारा जम्मू कश्मीर का मुद्दा यूनाइटेड नेशन में होने को लेकर अमित शाह ने कहा कि इसके बारे में कोई भी मामला लंबित नहीं है और जम्मू-कश्मीर, भारत का अभिन्न अंग है। भारत की सीमाओं के अंदर कोई भी निर्णय लेने के लिए सदन सक्षम हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री के सदन में प्रवेश करते ही सांसदो द्वारा अभिवादन किये जाने पर विपक्ष की आपत्ति पर कहा कि 70 साल की टीस खत्म हो रही है तो आनंद की अभिव्यक्ति स्वाभाविक है।
उन्होंने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून की स्थिति ना बिगड़े इसलिए कर्फ्यू लगाया गया है, सुरक्षा के कारण वहां सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। शाह ने यह भी कहा कि धारा 370 तो पहले से ही अस्थाई है और अस्थाई व्यवस्था को 70 साल तक खींचा गया।
शाह ने प्रस्ताव का विरोध करने वाले सदस्यों से पूछा कि जब ऐतिहासिक रूप से केंद्रीय धन का अधिकतम हिस्सा जम्मू-कश्मीर को दिया गया, उसके बाद भी यह बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, रोजगार के अवसर आदि जैसे विकास के कार्यों में क्यों नहीं परिलक्षित हुआ है? राज्य देश के अन्य राज्यों की तरह विकसित क्यों नहीं हो पाया है? शाह ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिये युवा वर्ग का उपयोग किया जा रहा है और राज्य के केवल तीन परिवारों ने इन निधियों से व्यक्तिगत लाभ प्राप्त किया। इसके अलावा मंत्री ने लिंग, वर्ग, जाति और मूल स्थान के आधार पर धारा 370 के प्रावधानों को भेदभावपूर्ण करार दिया। बिल का विरोध करने वाले सदस्यों से उन्होँने कहा कि केवल राजनीतिक कारणों से शोर शराबा न करें बल्कि धारा 370 से देश को कितना नुकसान हो रहा है इस बात पर चर्चा करें।
शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, जम्मू-कश्मीर में निजी निवेश के दरवाजे खुल जाएंगे, जिससे वहां विकास की संभावना बढ़ेगी। निवेश में वृद्धि से रोजगार सृजन में वृद्धि होगी और राज्य में सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे में और सुधार होगा। उन्होंने कहा कि उद्योगों के विकास के लिये निजी लोगों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से निवेश आएगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
उनका कहना था कि आज ऐतिहासिक भूल सुधारने का दिन है। अमित शाह ने कहा कि इस सदन ने भारत की एकता और अखंडता के लिये इससे पहले बहुत ऐतिहासिक क्षण देखे हैं और कई बार यह सदन अपनी प्रतिबद्धता साबित कर चुका है। एक बार पुन: अनुरोध है कि आज इस बिल पर ऐतिहासिक फैसले के लिए सभी सदस्य साथ आयें।
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