भारत को विश्व गुरु बनाने में प्राचीन विश्वविद्यालयों की महती भूमिका रही:नायडू
पटना,04 अगस्त (आरएनएस)। आज पटना विश्वविद्यालय के पुस्तकालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने में, मगध के विश्व विख्यात विश्वविद्यालयों और उनके ग्रंथालयों की महती भूमिका रही। उन्होंने कहा कि नालंदा, विक्रमशिला विश्वविद्यालयों और उनके समृद्ध ग्रंथालयों का चरित्र वस्तुत: वैश्विक था। जहां सुदूर देशों से विद्वान अध्ययन, अध्यापन और ग्रंथों पर शोध करने आते थे। ये विश्वविद्यालय भारत की बौद्धिक एकता के केन्द्र थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने अपने ज्ञान को बौद्धिक संपदा नहीं माना। हमारा विश्व दर्शन वसुधैव कुटुंम्बकम् के आदर्श से परिभाषित होता रहा है। नायडु ने कहा कि हमने अपने ज्ञान और विद्या को विश्व कल्याण के लिए सबसे साझा किया और इसी से भारतीय आध्यात्म और ज्ञान का विश्व भर में प्रसार हुआ।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में पटना विश्वविद्यालय के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि यहीं से पढ़कर निकले जय प्रकाश नारायण जी, पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री, डॉ. विधान चंद्र राय, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, अनुग्रह नारायण सिन्हा, न्यायमूर्ति वी. पी. सिन्हा, और भारत के प्रथम अटॉर्नी जनरल लाल नारायण सिन्हा जैसी महान विभूतियों का राष्ट्र निर्माण में अभिनंदनीय योगदान रहा है। वर्तमान में भी यहाँ से पढ़े केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे, राज्य सभा सांसद जे.पी. नड्डा, इस विश्वविद्यालय का नाम रौशन कर रहे है।
उपराष्ट्रपति ने पुस्तकालय में दुर्लभ पांडुलिपियों के संकलन को भी देखा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आप अटल द्वारा शुरु किए गये राष्ट्रीय पाडुंलिपि मिशन का लाभ उठायें। इस योजना के तहत आप न केवल इन पांडुलिपियों का संरक्षण कर सकेंगे बल्कि उन्हें विश्वभर के शोधार्थियों को उपलब्ध भी करवा सकेंगे।
आधुनिक परिपेक्ष्य में पुस्तकालयों को प्रासंगिक बनाये रखने पर विचार व्यक्त करते हुए नायडु ने कहा कि गूगल के इस युग में पुस्तकालयों को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि उनकी भूमिका को और बढ़ाया जाय। विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम और अध्यापन पद्धति में बदलाव लाने चाहिए जिससे छात्रों में पुस्तकालयों में संदर्भ ग्रंथों को पढऩे के लिए रुचि जगे।
उन्होंने सलाह दी कि पुस्तकालय, विश्वविद्यालय में साहित्यिक और सामयिक विमर्श का केन्द्र होने चाहिए। जरुरी है कि पुस्तकालयों की बौद्धिक जीवंतता बनी रहे।
इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रास बिहारी प्रसाद सिंह तथा अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
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