विश्व में क्रोध, असहिष्णुता और असहनशीलता चिंता का विषय:नायडू

नईदिल्ली,02 अगस्त (आरएनएस)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विश्व में क्रोध, असहिष्णुता और असहनशीलता के बढ़ते स्तरों पर चिंता व्यक्त की है और ऐसे उपदेशकों का आह्वान किया है, जो लोगों में सुकून, आंतरिक शांति और प्रसन्नता को बढ़ावा दे सकें। वह आज उपराष्ट्रपति भवन में सद्गुरु जग्गी वासुदेव के उपदेश ‘सदगुरु से संवादÓ के दौरान अपने उद्गार प्रकट कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यांत्रिक जीवनशैली और कार्य की दिनचर्या के उच्च दबाव के कारण हमारा जीवन तनावपूर्ण हो चुका है। उन्होंने इस बात पर चिंता प्रकट की कि आज दुनियाभर में क्रोध और वैमनस्य के कारण संवाद का स्वरूप विकृत हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमारी प्रगति के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।
नायडू ने आंतरिक शांति, शांत मस्तिष्क और आनंद से भरपूर हृदय की जरूरत पर बल दिया और सभी आध्यात्मिक नेताओं से जनता के साथ नियमित संवाद करने और जीवनशैली को बेहतर बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव के पास जटिल अवधारणाओं की सुगमता से व्याख्या करने की दुर्लभ योग्यता मौजूद है। उन्होंने कहा, ‘वे ऐसे गुरु हैं, जो आशा, शांति और सकारात्मक चिंतन के संदेश जनता तक पहुंचाते हैं।Ó
नायडू ने कहा कि हममें से अधिकांश लोगों को, जो केवल ‘वादÓ और ‘विवादÓ के अभ्यस्त हैं, उनके लिए ‘संवादÓ तरोताजग़ी भरा बदलाव होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ‘संवादÓ हमें ‘सदासद् विवेकÓ अर्थात ‘सद्Ó को ‘असदÓ से तथा ‘अच्छाईÓ को ‘बुराईÓ से अलग करने के विवेक की योग्यता के निकट ले जाएगा।
उन्होंने प्रसन्नता, सकारात्मकता और कल्याण पर सद्गुरु के उपदेश की सराहना की और जल संरक्षण के लिए उनकी पहल ‘नदियों के लिए रैलीÓ की सराहना की।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी, विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन, राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रामन्ना, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. सुभाष, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए. सूर्यप्रकाश, सरकार के विभिन्न विभागों के सचिव तथा प्रमुख शिक्षाविद् जे.एस. राजपूत और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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