भारतीय आईटी कम्पनियों की वैश्विक वृद्धि में सहायता करेगी सरकार:गोयल
नईदिल्ली,01 अगस्त (आरएनएस)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को नई दिल्ली में आईटी कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधकों के साथ बैठक की। बैठक में आईटी कंपनियों द्वारा उत्तरी यूरोप, पूर्वी एवं मध्य यूरोप के देशों, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसे नए बाजारों में निवेश और अपने कारोबार को बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने तथा चीन, जापान और कोरिया जैसे पूर्वी एशियाई बाजारों में व्यापक निवेश और वृद्धि के क्षेत्रों का पता लगाने के बारे में भी चर्चा की गई।
भारत के आईटी उद्योग ने वित्त वर्ष 2017 में देश के जीडीपी में 7.7 प्रतिशत का योगदान दिया, जिसके वर्ष 2025 तक भारत के जीडीपी के 10 प्रतिशत योगदान देने की संभावना है। नैसकॉम के अनुसार, इस क्षेत्र ने 2017 में 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व जुटाया। अमेरिका, भारत की 2/3 आईटी सेवाओं के निर्यात के लिए उत्तरदायी है।
भारत का आईटी और आईटीई उद्योग वर्ष 2018-19 में बढ़कर 181 बिलियन डॉलर का हो गया। वित्त वर्ष 2019 में इस उद्योग से होने वाला निर्यात बढ़कर 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जबकि घरेलू राजस्व (हार्डवेयर सहित) बढ़कर 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के दौरान कंपनियों के प्रतिनिधियों ने बताया कि चीनी आईटी सेवा बाजार विश्व का तीसरा बड़ा बाजार है। इसके बावजूद चीन में अपनी इकाई लगाने वाली भारतीय कंपनियों के समक्ष आने वाली विभिन्न गैर-टैरिफ बाधाओं और चुनौतियों के कारण भारतीय निवेश और कारोबार का चीन में प्रसार नहीं हो सका है। चीन में कारोबार शुरु करने के लिए भारतीय कंपनियों के समक्ष आने वाले बाजार तक पहुंच संबंधी मामले पर भी चर्चा की गई।
भारत की शीर्ष पांच कंपनियां जैसे टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस, टेक महिंद्रा और एचसीएल एक दशक से ज्यादा समय से चीन में कारोबार कर रही है और उन्होंने अपने चीन के कार्य प्रचालनों में 90 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार दिया है लेकिन उनके लाभ बहुत धीमे रहे हैं और इसलिए भारतीय आईटी कंपनियां चीन में निवेश और अपनी कार्रवाईयों में विस्तार करने के बारे में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने विचार-विमर्श के दौरान नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसिस कंपनीज (नैसकॉम) और बैठक में भाग लेने वाली कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधकों से अनुरोध किया कि वे चीन और अन्य पूर्वी एशियाई बाजारों में उनके समक्ष आने वाली गैर-टैरिफ बाधाओं के बारे में विशिष्ट आंकड़े साझा करें। पीयूष गोयल ने उन्हें बताया कि सरकार देश के इस शीर्ष उद्योग की वैश्विक वृद्धि में हरसंभव मदद करेगी और आईटी सेवा उद्योग को सहायता प्रदान करने हरसंभव प्रयास करेगी और उसके लिए वह चीन तथा जापान और कोरिया के साथ बातचीत करने को तैयार है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारत की आईटी सेवा कंपनियों से अन्य बाजारों में संभावनाएं तलाशने तथा गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में कारोबार करने में संकोच न करने का अनुरोध किया। उन्होंने देश की पांच शीर्ष आईटी कंपनियों से आग्रह किया कि वे एक ऐसा कोष तैयार करें जिसे कार्मिकों को मंडारियन, जापानी और कोरियाई भाषाओं में प्रशिक्षण देने पर व्यय किया जाए ताकि इन देशों के बाजारों तक पहुंच बनाई जा सके।
इस बैठक में वाणिज्य और उद्योग मंत्री के साथ चर्चा के दौरान टीसीएस, सत्यम वेंचर इंजीनियरिंग, एचसीएल, एनआईआईटी टेक, इंफोसिस, इनवेंटो रोबोटिक्स, टेक महिंद्रा और विप्रो के वरिष्ठ प्रबंधकों ने भाग लिया। सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (एसईपीसी) की महानिदेशक संगीता गोडबोले और नैसकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष भी उपस्थित थे।
भारत दुनिया में आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है और भारतीय आईटी उद्योग में निर्यात का वर्चस्व है, जो इस उद्योग के कुल राजस्व का लगभग 79 प्रतिशत है। भारत का आईटी सेवा क्षेत्र अब स्मार्ट एल्गोरिदम, बॉट्स और एआई उपकरणों जैसे इंटेलिजेंट ऑटोमिशन का डिजिटल भागीदार बनने की तैयारी कर रहा है, जो तेजी से हर उद्योग का और डिजिटल दुनिया का भाग बन रहे हैं।
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