राशनकार्ड के लिए जम्मू और हिमाचल प्रदेश से लौट रहें पलायन करने वाले मजदूर

रायपुर/ बिलासपुर, 25 जुलाई (आरएनएस)। पलायन करने वाले मजदूर सैकड़ों की तादात में जम्मू और हिमांचल प्रदेश जैसे शहर से छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में तीन दिन तक सफर कर बिलासपुर स्टेशन 24 जुलाई को दोपहर 12.30 बजे पहुंचे। अपना सामान बोरे में भरे हुए पदिवार समेत मजदुरों का रेला स्टेशन से बाहर निकले अपने अपने गांव जाने के लिए सड़क मार्ग से गंतव्य तक पहुंचने। ये सभी मजदूर जांजगीर, बिलासपुर, बलौदाबाजार – भाटापारा जिले के रहने वाले हैं। ट्रेन में जनरल और स्लीपर कोच में लगभग 250 मजदूर वापस आये हैं। ये सभी राशनकार्ड बनवाने के लिए अपने गांव जा रहे हैं।

मजदूर जम्मू शहर से भी वापस आ रहें हैं। जो दूसरे प्रदेश में कमाने खाने दिहाड़ी मजदूरी करने जाते हैं। छत्तीसगढ़ में मनरेगा में ज्यादा दिन काम नहीं चलने और कम मजदूरी मिलने की वजह से बाहर जातें है। और कृषि कार्य भी एक फसली होने के साथ खेती की जमीन नाम मात्र 1 से डेढ़ एकड़ होने की वजह से परदेस यानी पलायन करने की मजबूरी है। इस बार भी मानसून की बेरूखी से 75 तहसीलों में सूखे की चपेट से अकाल का यानी खेती किसानी पर संकट मंडरा रहा है। इससे खेतिहर मजदूर और छत्तीसगढ़ के श्रमिकों पर दोहरी मार पढऩे वाली है। छत्तीसगढ़ में कुल खेती का रकबा 48 लाख हेक्टेयर है जब कि औसत 32 लाख किसान परिवार हैं । इनके पास औसतन डेढ़ एकड़ कृषि भूमि है। यहाँ सिंचाई सुविधा 40 प्रतिशत लगभग होने से एक फसली मौसम के मेहरबानी पर खेती निर्भर रहती है। छ्त्तीसगढ़ में खाद्यान सुरक्षा पीडीएस के तहत लगभग 70 लाख परिवारों को एक रुपए किलो में चावल का लाभ मिल रहा है।

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