वनभैंसा संरक्षण के लिए आरक्षित भूमि पर ग्रामीणों का कब्जा

जगदलपुर , 07 जुलाई (आरएनएस)। वनभैंसा के संरक्षण के लिए चुनी गई 10 हेक्टेयर भूमि में 10 लाख रूपए की लागत से जो विशेष भूमि आड़ लगाकर संरक्षित की गई थी उस पर ग्रामीणों ने वनाधिकार पट्टा प्राप्त करने के लिए कब्जा कर लिया है और पहुंचे वन कर्मियों को इस संरक्षित भूमि में कार्य करने से मनाकर उन्हें भगा दिया है। यह घटना संभाग के बीजापुर जिले के अंतर्गत हुई। इससे वनभैंसा संरक्षण के लिए किये गये उपाय और योजना अधर में लटक गई है।
जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट का कार्य गत तीन वर्षों से इसी लिए रूका हुआ है। इस संबंध में यह विशेष तथ्य है कि क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और इस क्षेत्र में विचरण करने वाले नक्सली नहीं चाहते हैं कि कोई भी विकास का कार्य यहां हो। इसीलिए उनके दबाव में आकर ग्रामीणों द्वारा यह कदम उठाया जा सकता है। ऐसी संभावना से यहां कोई इंकार भी नहीं करता है। क्षेत्र में सक्रिय राजनीतिक दल और वन विभाग का अमला भी इसी कारण इस प्रोजेक्ट के प्रति उदासीन बना हुआ है। यह उल्लेखनीय है कि वनभैसा राज्य का राज पशु है और इसके संरक्षण के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया था। बस्तर के कुटरू परिक्षेत्र में विशुद्ध जाति का वनभैंसा पहले देखाई पड़ता था, लेकिन अब इसकी उपस्थिति के बारे में भी संदेह प्रगट किया जा रहा है। इसीलिए यहां संरक्षण का प्रोजेक्ट बनाया गया।

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