स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान देने वाले अमर शहीदों को सलाम करता हूं : डॉ. रमन सिंह

रायपुर, 27 जनवरी (आरएनएस)। प्रिय बहनों, भाइयों, युवाओं और प्यारे बच्चों, गणतंत्र दिवस की 68वीं सालगिरह के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाइयां और कोटिश: शुभकामनाएं। हमारे देश की स्वतंत्रता, हमारे महान गणतंत्र का आधार है, अत: मैं आज स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान देने वाले अमर शहीदों से लेकर लगातार देश की रक्षा कर रहे वीर जवानों तक को सलाम करता हूं।
छत्तीसगढ़ में आजादी की लड़ाई की कमान सबसे पहले आदिवासी समाज के शूरवीरों गैंदसिंह जी, गुण्डाधूर जी, वीर नारायण सिंह जी ने संभाली थी और शहादत देकर छत्तीसगढ़ को देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने की परम्परा से जोड़ दिया था, जिसका निर्वाह निरन्तर होता रहा है।
भारत-रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में देश के गौरवशाली संविधान का निर्माण किया गया था। संविधान निर्माण में भी छत्तीसगढ़ की विभूतियों का अमूल्य योगदान रहा। मुझे यह कहते हुए बड़ी खुशी है कि छत्तीसगढ़ी माटी-पुत्रों तथा पुत्रियों ने सिर्फ राज्य ही नहीं, बल्कि देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। गणतंत्र की सफलता और सार्थकता में हर व्यक्ति का योगदान दर्ज है, अत: मैं आज आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं।
आज मैं एक बार फिर छत्तीसगढ़ राज्य की सौगात देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारतÓ एवं नए भारत का लक्ष्य देने वाले माननीय प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। हमारे संविधान की सबसे बड़ी विशेषता, भारत संघ में समस्त राज्यों की सक्रिय, जवाबदेह और सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करना है। माननीय प्रधानमंत्री ने जी.एस.टी., नई खनिज नीति लागू की और राज्यों के वित्तीय संसाधनों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी करके संविधान की मंशा ‘सहकारी संघवादÓ का सम्मान किया है।
इस प्रकार उन्होंने इतिहास में पहली बार प्राकृतिक संसाधनों और मूल्यवान खनिजों को धारण करने वाली धरती माता के सहारे जीवन बिताने वाली स्थानीय आबादी के जीवन में आशा की नई किरण जगाई है। डी.एम.एफ. के माध्यम से 26 सौ करोड़ रूपए की विकास योजनाओं की मंजूरी, इसका जीता-जागता प्रमाण है।
डी.एम.एफ. के सदुपयोग हेतु हमारा प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।
छत्तीसगढ़ में गणतंत्र की महत्ता को संविधान की किताबों में खोजना नहीं पड़ता, बल्कि यह नागरिक सशक्तीकरण के माध्यम से जन-जीवन में दिखाई दे रही है।
उपजाऊ खेत और अमूल्य वन संपदा छत्तीसगढ़ की एक विशिष्ट पहचान है, लेकिन छत्तीसगढ़वासी कृषि-उपजों और वन-उपजों से अपने जीवन में खुशहाली की बरसों से बाट जोह रहे थे। हमने किसान भाई-बहनों और वनवासी परिवारों की आमदनी बढ़ाने के सतत् प्रयास किए। कृषि लागत कम करने के लिए हमने बिना ब्याज कृषि ऋण उपलब्ध कराया है। ‘सॉइल हेल्थ कार्डÓ के वितरण तथा मिट्टी नमूना परीक्षण में भी छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्य बना है, जिसकी सराहना भारत सरकार द्वारा की गई है।
किसानों को अपनी उपज का बेहतर दाम दिलाने के लिए प्रदेश की 14 मण्डियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार ‘ई-नामÓ से जोड़ा जा चुका है। ताजे फल तथा सब्जियों के लिए धमतरी में ‘किसान उपभोक्ता बाजारÓ का प्रयोग सफल रहा है, जिसके आधार पर 6 अन्य स्थानों पर ऐसे बाजार विकसित किए जा रहे हैं, जिससे उपज, क्रेता तथा विक्रेता के बीच से बिचौलियों को हटाया जा सके।
उद्यानिकी फसलों के रकबे में वृद्धि तथा उत्पादन में किसानों की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए ‘एग्रो-फॉरेस्ट्री योजनाÓ शुरू की गई है, जिसके तहत रिक्त पड़त भूमि तथा मेड़ों पर बांस, खम्हार, खमेर आदि 23 प्रजातियों के वृक्षों की कटाई तथा परिवहन को राज्य में वन अधिनियम से छूट दी गई है। इसी प्रकार खजूर, ऑइल पॉम तथा जैतून जैसी फसलों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। कटाई के उपरांत फसलों के अवशेष को जलाने की प्रथा में रोकथाम हेतु एक ओर जहां प्रतिबंध लगाने जैसे कानूनी उपाय किए गए हैं, वहीं दूसरी ओर अवशेषों से खाद बनाने हेतु प्रति एकड़ 1 हजार रूपए की सहायता किसानों को दी जा रही है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए पशु-धन विकास तथा मछली पालन हेतु भी अनेक सुविधाएं दी गई हैं। 4 लाख 70 हजार कृषि पम्पों को पात्रता अनुसार 7 हजार 500 यूनिट तक एवं अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति के किसानों को पूर्णत: नि:शुल्क बिजली दी जा रही है। बिजली पहुंचविहीन खेतों के लिए सौर-सुजला योजना शुरू की और नाममात्र दाम पर सोलर-पम्प उपलब्ध कराने का अभियान छेड़ा गया है।
हमने धान, मक्का, गन्ना खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था की है। सर्वाधिक धान खरीदी और तुरन्त भुगतान का कीर्तिमान बनाया है। धान तथा तेन्दूपत्ता पर बोनस दिया है। आगामी वर्ष के लिए भी बोनस की घोषणा कर दी गई है। तेन्दूपत्ता के अलावा अन्य निर्धारित लघु वनोपजों की खरीदी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था की गई है।
हमने एकात्म मानववाद तथा अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों को राज्य की नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों में उतारा, जिसके कारण हमें समाज के सबसे पिछड़े तबकों तथा क्षेत्रों को तेजी से विकास के रास्ते पर ले जाने में मदद मिली।
हमारे ध्यान में यह बात आई कि अनुसूचित जनजातियों तथा अनुसूचित जातियों के नाम अधिसूचित करने में, अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद में उच्चारणगत विभेद आ जाने के कारण 22 अनुसूचित जनजातियों तथा 5 अनुसूचित जातियों के जाति प्रमाण पत्र बनाने में तकलीफ हो रही है, तो हमने हिन्दी में उच्चारण, लेखन तथा ध्वनि के विभेदों को मान्य करने का निर्णय ले लिया, ताकि इन कारणों से प्रमाण-पत्र बनाने में कोई दिक्कत न आए।
इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के दायरे में सामाजिक रूप से उन्नत व्यक्तियों के निर्धारण हेतु वर्तमान में निर्धारित वार्षिक आय-सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रूपए कर दिया गया है।
सरगुजा तथा बस्तर संभागों में बुनियादी सुविधाओं तथा जीवन-स्तर का उन्नयन सबसे बड़ी चुनौती थी। नए जिलों के गठन से जहां निचले स्तर तक प्रशासन को पहुंचाने में मदद मिली, वहीं अधोसंरचना के विस्तार से जन-जीवन में विश्वास का संचार हुआ। आज बस्तर और सरगुजा संभाग मूल अधोसंरचना के मामले में किसी भी अन्य संभाग से कम नहीं है। विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, सुविधाजनक अस्पताल, शिक्षण-प्रशिक्षण की स्तरीय संस्थाओं के साथ प्रशासनिक सेवाओं का समुचित ढांचा इन आदिवासी-बहुल अंचलों में उपलब्ध करा दिया गया है।
प्रदेश में चहुंओर बिजली के उत्पादन-पारेषण-वितरण को लेकर बड़े पैमाने पर सुधार और विस्तार कार्य किए गए, जिससे सभी क्षेत्रों एवं सभी वर्गों को पर्याप्त विद्युत आपूर्ति की जा रही है। पारेषण क्षमता 1 हजार 610 एम.वी.ए. से बढ़कर 6 हजार 510 एम.वी.ए. हो गई है। बस्तर में बिजली प्रदाय की दोहरी व्यवस्था की गई है, जिसके तहत 220 के.वी. भिलाई-गुरूर-बारसूर लाइन, 132 के.वी. गुरूर-कांकेर-कोण्डागांव-जगदलपुर लाइन के अलावा 400 के.वी. की नवनिर्मित रायता (रायपुर)-जगदलपुर लाइन भी चालू कर दी गई है।
हमारा लक्ष्य अब बिजली की पर्याप्त उपलब्धता ही नहीं, बल्कि उसका गुणवत्तापूर्ण प्रदाय तथा बेहतर उपभोक्ता सेवा भी है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने ‘सहज बिजली, हर घर योजना-सौभाग्यÓ के माध्यम से एक वर्ष के भीतर सभी घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य देकर हमारा उत्साह बढ़ाया है, जिसके कारण हम सितम्बर 2018 तक शेष 5 लाख घरों में भी बिजली पहुंचा देंगे। ‘मुख्यमंत्री ऊर्जा प्रवाहÓ योजना के माध्यम से 306 नए विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 36 का लोकार्पण भी कर दिया गया है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, मुख्यमंत्री मजरा-टोला योजना, मुख्यमंत्री शहर सौंदर्यीकरण योजना आदि के माध्यम से ‘ऊर्जाÓ लोगों के जीवन में उत्सव का रूप लेने लगी है।
प्रदेश भर में शानदार सड़कों का जाल बिछाने में बड़ी प्रगति दर्ज की गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 32 हजार किलोमीटर सड़कों के निर्माण की स्वीकृति मिली, जिसमें से 27 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। शहरों से लेकर गांवों तक चारों ओर सरल, सुगम परिवहन और विकास के रास्ते खुल गए हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 2 हजार किलोमीटर सड़कों के निर्माण की मंजूरी मिली है, जिसमें से 13 सौ किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है और शेष कार्य शीघ्र पूर्ण किए जाएंगे।
राज्य के विभिन्न स्थानों और प्रमुख शहरों के बीच नॉन-स्टॉप तीव्र गति ए.सी. बस सेवा शीघ्र शुरू की जाएगी, जिसके लिए 18 प्रमुख मार्गों का चयन किया गया है। प्रदूषणमुक्त परिवहन को बढ़ावा देने के लिए ई-रिक्शा, ई-कार्ट वाहनों को 5 वर्षों के लिए शत-प्रतिशत करमुक्त किया गया है।
लम्बे समय तक छत्तीसगढ़ का एकमात्र हवाई अड्डा माना-रायपुर में ही रहा है, लेकिन हमने विमानन अधोसंरचना का विस्तार अंबिकापुर, जगदलपुर, बिलासपुर, बलरामपुर, जशपुर में भी किया है। बीजापुर, दंतेवाड़ा में हवाई पट्टी का निर्माण किया तथा कोण्डातराई (रायगढ़) में हवाई पट्टी का उन्नयन प्रस्तावित है। रीजनल कनेक्टिविटी- ‘उड़ानÓ योजना के लिए अंबिकापुर तथा रायगढ़ को अधिसूचित किया जा चुका है। हमारा प्रयास है कि रायपुर-जगदलपुर-अंबिकापुर के बीच सस्ती विमान सेवा शीघ्र प्रारंभ हो जाए।
प्रचलित परिपाटी से अलग हटकर हमने प्रदेश में रेलवे नेटवर्क के विकास की परियोजना बनाई, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में ईस्ट कॉरिडोर, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर तथा दल्लीराजहरा-रावघाट परियोजना के माध्यम से राज्य में पहली बार आदिवासी और दूरस्थ अंचलों में रेल परिवहन की सुविधा पहुंचेगी। मेरा विश्वास है कि वर्तमान 1 हजार 187 किलोमीटर के रेलवे नेटवर्क को दोगुने से अधिक करने का हमारा लक्ष्य निर्धारित समय में पूरा होगा। बस्तर में गुदुम से भानुप्रतापपुर तक रेलवे लाइन का निर्माण तथा इस मार्ग पर इंजन के परिचालन का सफल परीक्षण भी किया जा चुका है।

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