राफेल के लीक दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील: केंद्र
नई दिल्ली ,13 मार्च (आनएनएस)। रक्षा मंत्रालय ने राफेल विमान सौदे के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा (एफिडेविट) दायर किया है। रक्षा मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि राफेल समीक्षा मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा संलग्न किए गए दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं जो युद्धक विमानों की युद्ध क्षमता से संबंधित हैं।
रक्षा मंत्रालय ने हलफनामे में लिखा है कि जिन लोगों ने राफेल सौदे के दस्तावेज लीक करने की साजिश की है उन्होंने दंडनीय अपराध किया है। इन लोगों ने ऐसे संवेदनशील आधिकारिक दस्तावेजों की फोटोकॉपी करवाई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 28 फरवरी को शुरू हुए ये मामले आंतरिक जांच का विषय बन गए हैं। रक्षा मंत्रालय ने इस मामले में कहा कि पुनर्विचार याचिका के दस्तावेज संवेदनशील हैं और लड़ाकू विमान से संबंधित हैं और विरोधियों के पास इनकी उपलब्धता ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला है। हलफनामे में कहा गया कि याचिका में इन दस्तावेजों को सलंग्न करने के लिए केंद्र की सहमति के बगैर इन संवेदनशील दस्तावेज की फोटोप्रतियां बनाने वालों ने चोरी की है। इससे देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ा। रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और प्रशांत भूषण संवदेनशील जानकारी लीक करने के दोषी हैं। हलफनामे में राफेल दस्तावेजों के लीक होने को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा गया कि इस बात का पता लगाया जा रहा है कि लीक कहां से हुआ ताकि भविष्य में निर्णय लेने की प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखी जाए। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में आंतरिक मंत्रणा के बारे में आधी-अधूरी तस्वीर पेश करने के लिए अनधिकृत तरीके से प्राप्त दस्तावेज अपने हिसाब से पेश कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं द्वारा चुनकर अधूरे तथ्य और रिकॉर्ड पेश करने का मकसद न्यायालय को गुमराह करना है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा रहा है। हलफनामे में कहा गया है कि याचिका में जिन दस्तावेजों को आधार बनाया गया है वे एक श्रेणी के हैं जिनके लिए साक्ष्य कानून के तहत विशेषाधिकार का दावा किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय ने न्यायालय से कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा अनधिकृत तरीके से पेश दस्तावेज सूचना के अधिकार कानून के तहत खुलासा करने के दायरे से बाहर हैं।
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