ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने प्रतिबद्ध है सरकार
नईदिल्ली ,06 फरवरी (आरएनएस)। डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास निधि (डीआईडीएफ) के तहत 22 उप-परियोजनाओं को जनवरी, 2019 तक मंजूरी दी गई है इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत 3147.22 करोड़ रुपये है
केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराकर वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसा पूरे साल आय उपलब्ध कराने और लाभदायक रोजगार जुटाने में मदद करने के लिए किया जा रहा है। ‘डेयरी सहकारिता क्षेत्र में दुग्ध प्रसंस्करण बुनियादी ढांचाÓ के बारे में आयोजित कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की सलाहकार समिति की अंतर-सत्र बैठक में उन्होंने कहा कि विभिन्न डेयरी विकास योजनाओं के माध्यम से सरकार गुणवत्तायुक्त दुग्ध के उत्पादन, खरीददारी, प्रसंस्करण तथा दुग्ध और दुग्ध उत्पादकों के विपणन के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के प्रयास कर रही है। डेयरी विकास योजनाओं में राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), राष्ट्रीय डेयरी योजना चरण-1 (एनडीपी-1) और डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) शामिल हैं। इसके अलावा ग्राम स्तर पर शीतलन बुनियादी ढांचा और इलेक्ट्रॉनिक दुग्ध अपमिश्रण परीक्षण उपकरण स्थापित करने और मूल्य संवर्धित उत्पादों के लिए प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे और उत्पादन सुविधाओं के आधुनिकीकरण/विस्तार के लिए 8004 करोड़ रुपये की राशि से डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास निधि (डीआईडीएफ) स्थापित की गई है।
सिंह ने कहा कि 22 जनवरी, 2019 को पांच राज्यों- पंजाब, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में 3147.22 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित परियोजना लागत वाली 22 उप-परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक और जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) से प्राप्त कम ब्याज वाले ऋणों से नई योजनाओं का अधिक से अधिक किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अंतिम रूप दिया जा रहा है।
सिंह ने बताया कि सरकार डेयरी विकास की चल रही योजनाओं को लागू करने के अलावा डेयरी बुनियादी ढांचे के सृजन की भी योजना बना रही है। डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) में वर्ष 2021-22 तक दूध का उत्पादन बढ़ाकर 254.5 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। इसके लिए 8.56 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर की जरूरत है। इससे वर्ष 2021-22 तक दूध की उपलब्धता बढ़कर 515 ग्राम प्रति दिन प्रति व्यक्ति हो जाएगी। इससे बढ़ती हुई जनसंख्या की पोषण जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए संगठित दूध रख-रखाव जो वर्तमान में 21 प्रतिशत है उसे मार्च, 2022 तक बढ़ाकर 41 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सहकारी हिस्सेदारी जो वर्तमान में 10 प्रतिशत है उसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
सिंह ने बताया कि विवेकपूर्ण नीति हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप भारत का दूध उत्पादक देशों में पहला स्थान है। इसे वर्ष 2017-18 के दौरान 6.62 प्रतिशत वार्षिक विकास दर के साथ 176.35 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन से प्राप्त किया गया है। वर्ष 2017-18 के दौरान दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 375 ग्राम प्रति दिन के स्तर पर पहंच गई है जो दुनिया के औसत 294.2 ग्राम प्रति दिन से अधिक है। वर्ष 2010-14 की तुलना में 2014-18 के दौरान दूध उत्पादन में 23.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।(पीआईबी-साभार)
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