त्याग के सहारे घर जोडऩे की तैयारी में भाजपा

नई दिल्ली ,28 जनवरी (आरएनएस)। आम चुनाव से पहले विपक्षी महागठबंधन की चुनौतियों से रूबरू हो रही भाजपा अब त्याग के सहारे राजग का कुनबा संभालने में जुट गई है। पार्टी ने बिहार में जदयू-लोजपा को मनाने के तर्ज पर महाराष्टï्र में शिवसेना को मनाने केलिए त्याग करने की रणनीति तैयार की है। इस रणनीति के तहत पार्टी जदयू की तरह ही शिवसेना को भी समान सीटें दे कर बराबर केभाई का दर्जा दे सकती है। जबकि पार्टी की योजना इसी हफ्ते नाराज चल रहे यूपी के दोनों सहयोगियों अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को मनाने की है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक महाराष्टï्र में शिवसेना को साथ लाने की मुहिम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के जिम्मे है। अब तक राज्य में बड़ा भाई बनाने की मांग कर रही शिवसेना के न मानने पर पार्टी उसे बराबर का दर्जा देगी। मतलब दोनों दल बराबर सीटों पर लड़ेंगे। गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव भाजपा 24 तो शिवसेना 18 सीटों पर लड़ी थी। पार्टी ने बाकी बची सीटे शेतकारी संगठन सहित कुछ छोटे दलों को दी थी। अब भाजपा शिवसेना को अपने बराबर सीटें देने को तैयार है। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना भी बराबर की सीटें हासिल करने के लिए बड़े भाई की भूमिका की मांग कर रही है।
गौरतलब है कि इसी त्याग की रणनीति के तहत ही भाजपा ने बिहार में अपने दोनों सहयोगियों जदयू और लोजपा को संतुष्टï किया था। यहां गठबंधन को बचाने के लिए भाजपा ने अपनी जीती हुई 5 तो बीते चुनाव में लड़ी गई 30 से से 13 सीटें कुर्बान कर महज दो सीटें जीतने वाली जदयू को बराबर केभाई का दर्जा दिया था। जबकि लोजपा को पिछले बार की तुलना में एक सीट कमी की भरपाई राज्यसभा की एक सीट देने के वादे से पूरी की थी।
अब मिशन यूपी बाकी
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार और महाराष्टï्र की तुलना में उत्तर प्रदेश में सहयोगियों की नाराजगी का कारण अलग है। अपना दल जहां राज्य सरकार से हो रही कथित उपेक्षा दूर करना चाहती है तो वहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ओबीसी आरक्षण कोटे में कोटा बहाल करना चाहती है। बुधवार को राज्य के प्रवास पर जा रहे अमित शाह 8 फरवरी तक लगातार सूबे का दौरा करेंगे। इसी क्रम में उनकी योजना अपने दोनों सहयोगियों से बातचीत कर मतभेद दूर करने की है। हालांकि राजभर ओबीसी कोटे में कोटा केलिए जिस सामाजिक न्याय समिति की सिफारिश लागू कराना चाहते हैं, वह पूरी तरह से भाजपा की राजनीति के मुफीद नहीं है। दरअसल इसमें ए कटेगरी में डाल कर जिन जातियों को 7 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है, उनमे पार्टी और सहयोगी अपना दल की समर्थक कुर्मी और जाट बिरादरी भी शामिल है।
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