रास में हंगामे के चलते पेश नहीं हो सकता तीन तलाक बिल

नई दिल्ली ,31 दिसंबर (आरएनएस)। राज्यसभा में सोमवार को तीन तलाक संबंधी चर्चित विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी। कांग्रेस के नेतृत्व में लगभग समूचे विपक्ष ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की, वहीं सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष मुस्लिम महिलाओं के अधिकार से जुड़े इस विधेयक को जानबूझकर लटकाना चाहता है। दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर कायम रहने के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी और हंगामे के कारण कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही सवा ग्यारह बजे एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर मुस्लिम महिला विवाह अधिकार सरंक्षण विधेयक 2018 को चर्चा के लिए लाया गया। इसी दौरान अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी नदी पर बांध के निर्माण का विरोध करते हुए आसन के निकट आ गए। उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने और अपने स्थानों पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि लोकसभा चल रही है और वहां चर्चा हो रही है। लेकिन राज्यसभा में कामकाज नहीं हो रहा है। हम अपनी भूमिका के बारे में देश को क्या संदेश देना चाहते हैं? हंगामे के बीच ही तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की और कहा कि अधिकतर विपक्षी सदस्य इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजना चाहते हैं तो सरकार इसे क्यों नहीं भेज रही।नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह एक ऐसा विधेयक है जो बहुत से लोगों के जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा, लिहाजा विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति में भेजकर इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विपक्ष द्वारा प्रस्ताव भी लाया गया है।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह संसदीय परंपराओं की अनदेखी कर अधिकतर विधेयकों को स्थायी या प्रवर समिति में भेजे बिना इन्हें सीधे संसद में पारित करवाना चाहती है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक विधेयक को लोकसभा में स्थायी समिति के पास नहीं भेजा गया। आजाद ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा एक अति महत्वपूर्ण विधेयक है और इसे प्रवर समिति में भेज कर इस पर चर्चा कराना आवश्यक है।इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जुड़ा अति महत्वपूर्ण विधेयक है तथा विपक्ष इस विधेयक को जान बूझकर अटकाना चाहता है। इसीलिए वह इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहा है।उन्होंने कहा कि लोकसभा में पहली बार कांग्रेस ने इस विधेयक का समर्थन किया था, दूसरी बार उसने चर्चा में भाग लिया। उन्होंने विपक्ष पर इस विधेयक पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर सदन में कोई सहमति बनते नहीं देख उपसभापति ने दोपहर दो बजकर करीब दस मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। पन्द्रह मिनट बाद बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और यह बिल चर्चा के लिए पेश हुए बिना सदन की कार्यवाही दो जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कांग्रेस की रही प्रवर समिति को भेजने की मांग
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह एक ऐसा विधेयक है जो बहुत से लोगों के जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा, लिहाजा विधेयक को सिलेक्ट कमिटी में भेजकर इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विपक्ष द्वारा प्रस्ताव भी लाया गया है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह संसदीय परंपराओं की अनदेखी कर अधिकतर विधेयकों को सिलेक्ट कमिटी में भेजे बिना इन्हें सीधे संसद में पारित करवाना चाहती है। आजाद ने कहा कि तीन तलाक विधेयक को लोकसभा में स्थायी समिति के पास नहीं भेजा गया। आजाद ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा एक अति महत्वपूर्ण विधेयक है और इसे सिलेक्ट कमिटी में भेज कर इस पर चर्चा कराना आवश्यक है। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जुड़ा अति महत्वपूर्ण विधेयक है तथा विपक्ष इस विधेयक को जानबूझकर अटकाना चाहता है इसीलिए वह इसे सिलेक्ट कमिटी में भेजने की मांग कर रहा है।
सरकार का तर्क
संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि लोकसभा में पहली बार कांग्रेस ने इस विधेयक का समर्थन किया था, दूसरी बार उसने चर्चा में भाग लिया। उन्होंने विपक्ष पर इस विधेयक पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर सदन में कोई सहमति बनते नहीं देख उपसभापति ने दोपहर दो बजकर करीब दस मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बाद में बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा।
एक-दूसरे पर राजनीति करने का आरोप
सदन में कांग्रेस के डेप्युटी लीडर आनंद शर्मा ने कहा कि संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने आरोप लगाया है कि विपक्ष इस विधेयक पर राजनीति कर रहा है। शर्मा ने कहा कि इस मामले में राजनीति सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा ‘रबर स्टैंपÓ नहीं है और इस विधेयक पर संसदीय समिति द्वारा विचार किया जाना आवश्यक है। शर्मा ने कहा कि पूरे विपक्ष की मांग है कि यह विधेयक सिलेक्ट कमिटी को भेजा जाए। सदन में शोर-शराबे के बीच ही कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह मामला ‘इंसानियत और मानवताÓ का है। सरकार इस विधेयक पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी तीन तलाक की घटनाएं हो रही हैं और कल तक ऐसी घटनाएं हुई हैं। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को असंवैधानिक और गैरकानूनी घोषित किया था। प्रसाद ने कहा कि विपक्ष विधेयक को न लटकाए और चर्चा में भाग ले। सरकार उनके सुझावों को सुनने को तैयार है। उपसभापति ने एक बार फिर सदस्यों से शांत होने और विधेयक पर चर्चा करने की अपील की लेकिन सदन में हंगामा जारी रहने पर उन्होंने बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
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