पॉक्सो एक्ट के तहत मृत्युदंड को भी मंजूरी
नई दिल्ली ,28 दिसंबर (आरएनएस)। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों और किशोरों के साथ यौन शोषण के अपराधियों को सजा-ए-मौत देने से संबंधित संशोधन को आज मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पॉक्सो एक्ट, 2012 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।
बच्चों और किशोरों को यौन अपराधों से बचाने के लिए 2012 में पॉक्सो कानून बनाया गया था। इसमें 18 वर्ष से कम आयु के किशोर और बच्चे के खिलाफ यौन अपराध के दोषी को कड़ी सजा का प्रावधान किया गया था। देश में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उद्देश्य से यह संशोधन किया गया है। अपराधियों को सख्त सजा देने के लिए पॉक्को कानून 2012 की धारा 4, 5,6,9,14,15 और 42 में संशोधन किया गया है। धारा 4,5 और 6 में संशोधन कर अब यह प्रावधान किया गया है कि यौन शोषण के बर्बर मामलों में अब अपराधी को सजा-ए- मौत भी दी जा सकेगी।
कानून की धारा-9 में प्राकृतिक आपदाओं के समय बच्चों के यौन शोषण के अपराधों की सजा को भी सख्त बनाने और बच्चों को सेक्स के लिए परिपक्व बनाने के उद्देश्य से उनके शरीर में हार्मोन या रासायनिक पदार्थ चढ़ाने के दोषियों को भी सजा के दायरे में लाने का प्रावधान प्रस्तावित है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर अंकुश लगाने के लिए पॉक्सो कानून की धारा 14 और 15 में भी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। बाल यौन शोषण से संबंधित पोर्नोग्राफी सामग्री को नहीं हटाने या उसका प्रसार करने पर भी जुर्माना लगाया जायेगा। इसमें जेल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री स्टोर करने के दोषियों के खिलाफ भी सख्ता सजा के प्रावधान किये गये हैं।
10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली ‘गगनयानÓ योजना को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष में देश के पहले मानव मिशन ‘गगनयानÓ को मंजूरी दे दी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के आर्थिक मामलों की समिति की गुरुवार रात हुई बैठक में इसकी मंजूरी दी गयी, इसके तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा वाले अंतरिक्ष में भेजा जायेगा। पूरे अभियान पर 10 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि वास्तविक मानव मिशन से पहले दो बार बिना मानव के मिशन को अंजाम दिया जायेगा जिनमें प्रक्षेपण यान, मॉड्यूल तथा अन्य सभी उपकरणों सहित पूरी प्रक्रिया वास्तविक मिशन की तरह ही होगी। अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाने वाले मॉड्यूल और अन्य सभी उपकरणों को अंतरिक्ष में वांछित कक्षा तक पहुँचाने के लिए जीएसएलवी एम के-3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण, फ्लाइट प्रणाली के विकास तथा जमीन पर बुनियादी ढाँचा तैयार करने के लिए जरूरी अवसंरचनायें विकसित की जायेंगी। मिशन को सफल बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के साथ साझेदारी करेगा।
सात सरकारी कंपनियां होंगी शेयर बाजार में सूचीबद्ध
सरकार ने राष्ट्रीय बीज निगम, रेलटेल और टेलीकम्युनिकेशंस कंसलटे्ंस इंडिया सहित सार्वजनिक क्षेत्र की सात कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने को मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरूवार रात हुयी मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह मंजूरी दी गयी। केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये निर्णयों के बारे में शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की सात कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध बनाने को मंजूरी प्रदान की गयी है। इनमें से छह कंपनियों का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) आयेगा जबकि एक कंपनी का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) आयेगा।
उन्होंने बताया कि टेलीकम्युनिकेशंस कंसलटे्ंस इंडिया लिमिटेड (टीसीआईएल), रेलटेल इंडिया कार्पोरेशन लिमिटेड, राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी), टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, वाटर एंड पॉवर कंस्लटेंसी सर्विसेस और एफसीआई अरावली जिप्सम एंड मिनरल्स इंडिया लिमिटेड को आईपीओ के जरिये सूचीबद्ध कराया जायेगा जबकि कुद्रेमुख ऑयरल ओर कंपनी लिमिटेड को एफपीओ के माध्यम से सूचीबद्ध कराया जायेगा।
राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के लिए विधेयक को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) की स्थापना के लिए विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा नियामक संस्था केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद (सीसीएच) की जगह एक नई संस्था का गठन करेगा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच) विधेयक, 2018 का मसौदा राष्ट्रीय आयोग के गठन का उल्लेख करता है। आयोग के अंतर्गत तीन स्वायत्त परिषदें होंगी।
होम्योपैथी शिक्षा परिषद द्वारा दी जाने वाली होम्योपैथी शिक्षा के संचालन की जिम्मेदारी स्वायत्त परिषदों पर होंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इसकी मंजूरी दी गई। इसमें कहा गया है कि मूल्यांकन और योग्यता निर्धारण परिषद, होम्योपैथी के शैक्षिक संस्थाओं का मूल्यांकन करेगा और मंजूरी प्रदान करेगा। नीति और पंजीयन परिषद होम्योपैथी के चिकित्सकों का पंजीयन करेगा और एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाएगा। इसके अतिरिक्त इलाज से संबंधित नीतिगत मामले राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अधिकार क्षेत्र में आएंगे।
इसमें एक प्रवेश परीक्षा और एक्जिट परीक्षा कराने का भी प्रस्ताव किया गया है। प्रेक्टिस करने के इच्छुक सभी स्नातकों को इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना होगा। इसके अतिरिक्त शिक्षकों की योग्यता परीक्षा का भी प्रस्ताव है। इस परीक्षा से शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति के पूर्व उनकी योग्यता का मूल्यांकन किया जाएगा। सौदा विधेयक का लक्ष्य होम्योपैथी की मेडिकल शिक्षा में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की तर्ज पर सुधार लाना है।
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