संसद में फिर बरपा हंगामा, राज्यसभा की कार्यवाही ठप

नई दिल्ली ,27 दिसंबर (आरएनएस)। संसद के दोनों सदनों में राफेल मामले में कांग्रेस सदस्यों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग तथा अलग-अलग मुद्दों पर अन्नाद्रमुक एवं तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के सदस्यों के हंगामा रहा, जिसके कारण राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। जबकि लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी गई। जिसके बाद हंगामे के बीच सदन में तीन तलाक पर चर्चा जारी है।
लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद 12 बजे आरंभ हुई तब स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। हंगामे के बीच ही कांग्रेस की रंजीत रंजन, केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता एस एस अहलूवालिया, अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा और आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने सिखों के 10वें गुरू गोबिंद सिंह के साहबजादों की शहादत का उल्लेख करते हुए सदन में श्रद्धांजलि की मांग की। इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह के साहबजादों की शहादत किसी एक धर्म का विषय नहीं है, बल्कि यह पूरे देश से जुड़ा है तथा पूरा सदन अपनी संवेदना प्रकट करता है। इसके बाद उन्होंने शोर-शराबे के बीच ही शून्यकाल को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन कई सदस्यों ने विभिन्न मुद्दे उठाते हुए शोर शराबा कर हंगामा शुरू कर दिया और करीब साढ़े 12 बजे सदन की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दो बजे बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान सदन में तीन तलाक संबन्धी विधेयक पर चर्चा शुरू कराई गई, जबकि कांग्रेस सदस्य इस विधेयक को सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग पर हंगामा करते रहे। गौरतलब है कि तीन तलाक को दंडनीय अपराध ठहराने वाले विधेयक को 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। यदि इस विधेयक को मंजूरी मिलती है तो यह सितंबर में लागू किए गए अध्यादेश की जगह लेगा। प्रस्तावित कानून के मुताबिक तीन तलाक लेना अवैध होगा और ऐसा करने का दोषी पाए जाने पर पति को तीन साल तक की जेल की सजा होगी।
तीन तलाक पर कौन क्या बोला
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चल रही बहस के लिए हालांकि लोकसभा स्पीकर ने सरकार और विपक्ष को इस बिल के संबंध में बहस के लिए 4 घंटे का वक्त दिया है। विपक्ष का कहना है कि इस विधेयक से तीन तलाक को दंडनीय अपराध के दायरे से हटाना चाहिए, जबकि सरकार ने इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अहम करार दिया है। सलेक्ट कमेटी की मांग पर सुमित्रा महाजन ने कहा कि ऐसा ही एक विधेयक लोकसभा में चर्चा के बाद पारित हो चुका है। हालांकि सदस्य चर्चा के दौरान मुद्दे को उठा सकते हैं। अचानक इस तरह की मांग नहीं उठाई जा सकती है कि बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए।
इस्लामिक देशों से हटा, भारत में क्यों नहीं: रविशंकर
चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने डिबेट के दौरान कहा कि तीन तलाक लेने वाले मुस्लिम पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान करने वाला यह विधेयक राजनीति नहीं है बल्कि महिलाओं को न्याय दिलाने वाला और उन्हें सशक्त करने वाला है। बिल को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, यह मानवता और न्याय के लिए है। उन्होंने कहा कि 20 इस्लामिक देश इस पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। फिर भारत जैसे सेकुलर देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? मेरा आग्रह है कि आप लोग इस संदेवनशील मसले को राजनीतिक चश्मे से न देखें।
सेलेक्ट कमिटी पर जाए बिल
इस बिल के कई प्रावधान असंवैधानिक हैं। इस बिल को दोनों सदनों की संयुक्त सेलेक्ट कमिटी को रेफर किया जाना चाहिए ताकि इसकी स्क्रूटनी की जानी चाहिए। एआईएडीएमके लीडर पी. वेणुगोपाल, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और एनसीपी की सुप्रिया सुले ने भी ऐसी ही मांग रखी।
महिलाओं को सिर्फ मुकदमेबाजी मिलेगी
कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि सशक्तिकरण के नाम पर सरकार महिलाओं को सिर्फ मुकदमेबाजी का झंझट दे रही है। इस बिल का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को सशक्त करने से ज्यादा मुस्लिम पुरुषों को दंडित करना है।
कुरान में नहीं तीन तलाक का जिक्र
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि तीन तलाक का विरोध करने वाले लोगों से मैं यह पूछना चाहती हूं कि कुरान के किस सूरा में तलाक-ए-बिद्दत का जिक्र किया गया है। यह महिला बनाम पुरुष का मसला नहीं है, यह पूरी तरह से मानवाधिकार के उल्लंघन से जुड़ा मामला है।
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