हजारों वनवासियों के उत्साह ने साबित कर दिया तेन्दूपत्ता बोनस का महत्व : डॉ. रमन सिंह
रायपुर, 03 दिसंबर (आरएनएस)। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने आज दोपहर राज्य के अंतिम छोर के जिले सुकमा के छिंदगढ़ में आयोजित तेंदूपत्ता बोनस तिहार में बस्तर संभाग के दो जिलों (वन मंडलों)- सुकमा और बस्तर (जगदलपुर) केे 86 हजार 913 तेंदूपत्ता संग्राहकों को दस करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) ऑन लाइन वितरित किया। इनमें सुकमा जिले के 55 हजार 448 हितग्राही शामिल हैं, जिन्हें 9 करोड़ 9 लाख 33 हजार रुपए का बोनस मिला। उनके अलावा बस्तर जिले के 31 हजार 865 तेंदूपत्ता संग्राहकों के 92 लाख 49 हजार रूपए का बोनस दिया गया। उन्होंने प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के सम्मेलन के साथ आयोजित बोनस तिहार में हजारों की संख्या में आए वनवासियों को सम्बोधित किया।
डॉ. सिंह ने कहा – हमारे मेहनतकश वनवासी भाई-बहनों के जीवन में तेन्दूपत्ते का बड़ा महत्व है। यह हर साल गर्मियों में उनके लिए अतिरिक्त आमदनी का भी एक प्रमुख जरिया है। बोनस को लेकर उनमें भारी उत्साह देखा जा रहा है। आज के समारोह में हजारों की संख्या में उनकी मौजूदगी से तेन्दूपत्ता बोनस तिहार का महत्व स्वयं साबित हो जाता है। इस अंचल में ढोल और मृदंग की स्वर लहरियां फिर गूंजने लगी हैं। डॉ. सिंह ने कहा – सुकमा राज्य के अंतिम छोर का नया जिला है। इसका गठन वर्ष 2012 में किया गया था। जब मैने इस अंचल के लोगों की वर्षों पुरानी मांग पर सुकमा को जिला बनाने का निर्णय लिया था, तब कुछ लोगोंं ने मेरे इस फैसले का मजाक उड़ाया था, लेकिन आज जनता के सहयोग और शासन-प्रशासन की सक्रियता और तत्परता से सुकमा जिला सामाजिक-आर्थिक विकास के मामले में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है। जिला बनने के सिर्फ पांच वर्ष के भीतर यहां विकास के कार्यों में तेजी आयी है। सरकार और प्रशासन अब इस क्षेत्र के लोगों के नजदीक है।