महिलाओं को नहीं दी जा सकती युद्ध की जिम्मेदारी: रावत

नई दिल्ली ,15 दिसंबर (आरएनएस)। सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने शनिवार को कहा कि महिलाओं को कॉम्बैट (युद्ध वाली) भूमिकाएं नहीं दी जा सकती हैं क्योंकि उनके ऊपर बच्चों को पालने-पोसने की जिम्मेदारी होती है। एक महिला अधिकारी असहज महसूस कर सकती है जब उसे अग्रपंक्ति में खड़ा किया जाए या फिर कपड़े बदलते समय उसे कोई जवान देख ले।
सेना प्रमुख रावत ने कहा कि वह महिलाओं को कॉम्बैट भूमिकाएं देने के लिए तैयार हैं लेकिन सेना नहीं है क्योंकि बहुत से जवान गांवों से आते हैं और वह एक महिला अधिकारी द्वारा अपना नेतृत्व किए जाने को स्वीकार नहीं कर पाएंगे। जनरल रावत ने मातृत्व अवकाश पर बात की और कहा कि सेना महिलाओं को उस समय छुट्टी नहीं दे सकती है अगर वह कमांडिंग अधिकारी है क्योंकि वह अपनी यूनिट को 6 महीनों के लिए नहीं छोड़ सकती है। उन्होंने कहा कि इन छुट्टियों पर आपत्ति करने से हंगामा हो सकता है। रावत ने कहा कि हमारे पास महिला अधिकारी इंजीनियर के तौर पर हैं। वह खनन और कामकाजी काम कर रही हैं। वायु रक्षा में वह हमारे हथियार प्रणालियों का प्रबंधन कर रही हैं। लेकिन हमने महिलाओं को अग्रपंक्ति में नहीं रखा है क्योंकि अभी हम छद्म युद्ध लड़ रहे हैं जैसे कि कश्मीर में चल रहा है।
महिलाएं लड़ाकू विमान चला सकते हैं लेकिन हथियारों से लैस टैंक नहीं इसपर उन्होंने कहा कि यदि एक केवल एक महिला है और उसके आस-पास बाकी जवान हैं। वह एक कमांडर है इसलिए वह जो चाहे कर सकती है। वह ऑपरेशन पर जा सकती है। लेकिन आज भी हम इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। बिपिन रावत ने कहा कि हमारे आदेश हैं कि महिला अधिकारियों को एक कुटिया मिलनी चाहिए। दूसरा आदेश यह है कि उन्हें सुरक्षा कवच दिया जाए। वह कहेगी कि कोई उसे देख रहा है तो हमें उसे एक शीट देनी पड़ेगी।
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