हंगामे की भेंट चढ़ी संसद की कार्यवाही

  • 0-लोकसभा में शोरशराबे के बीच पेश हुए दो बिल
  • नई दिल्ली ,14 दिसंबर (आरएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन भी लोकसभा व राज्यसभा की की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई, जहां विपक्षी दलों ने राम मंदिर, राफेल, कावेरी व आंध्र प्रदेश के अलावा अन्य मुद्दो को लेकर हंगामा किया। इस हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही को भोजनावकाश से पहले ही पूरेे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि हंगामे के बीच ही लोकसभा में केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक तथा भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक पेश किये गये।
    लोकसभा की शुक्रवार को शुरू हुई कार्यवाही के दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल शुरू कराने का ऐलान किया, लेकिन शिवसेना ने राम मंदिर, कांग्रेस ने राफेल, तेदेपा ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग और और अन्नाद्रमुक ने कावेरी मुद्दों पर अन्य दिनों की भांति नारेबाजी करके हंगामा जारी रखा। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक स्थगित किया गया और फिर 12 बजे शुरू हुई कार्यवाही के दौरान भी हंगामे के कारण शून्यकाल नहीं हो सका विभिन्न मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के शोर शराबे के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक को पेश किया, जिसमें आंध्र प्रदेश राज्य में आंध्र प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम से एक विश्वविद्यालय और आंध्र प्रदेश केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के नाम से एक जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना का उपबंध किया गया है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश राज्य में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना से उच्चतर शिक्षा तक पहुंच और उसकी गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
    भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक भी पेश
    लोकसभा में इसी हंगामे के बीच स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक पेश किया गया, जिसका मकसद आयुर्विज्ञान शिक्षा और आयुर्विज्ञान व्यवसाय की विनियामक प्रणाली की पुनरू संरचना एवं भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद में सुधार लाना है। संसद से मंजूरी मिलने पर यह विधेयक इस संबंध में लागू अध्यादेश का स्थान लेगा। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1956 को भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) के पुनर्गठन और भारत के लिये एक चिकित्सक रजिस्टर रखे जाने तथा तत्संबद्ध विषयों का उपबंध के लिये अधिनियमित किया गया था। भारतीय चिकित्सा परिषद के मुख्य कार्य केंद्र सरकार को चिकित्सीय अर्हताओं की मान्यता, अध्ययन पाठ्यक्रमों का अवधारण करने और अपेक्षित परीक्षाओं का निरीक्षण और चिकित्सीय व्यवसायियों के रजिस्टर आदि के संबंध में सिफारिश करना है। उक्त परिषद के कामकाज पर काफी लंबे समय से समीक्षा चल रही है और उसकी अनेक विशेषज्ञ निकायों द्वारा समीक्षा की गई थी जिनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग संबंधी संसदीय समिति सम्मिलित थी।
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