भारत-रूस के संबंध क्रेता-विक्रेता से दूर: प्रभु

नई दिल्ली ,29 अक्टूबर (आरएनएस)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत और रूस के रिश्ते को क्रेता-विक्रेता के संबंधों से परे बताते हुए कहा है कि रूस की कंपनियां दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे, स्मार्ट सिटीज, रेलवे, लोक परिवहन, रक्षा उत्पादन, स्वच्छता और किफायती आवास के क्षेत्र में सहयोग कर सकती हैं।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि प्रभु ने रूसी कंपनियों के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने रूसी कंपनियों की सुविधा के लिए ‘रूस प्लसÓ नाम का एक कार्यक्रम शुरू किया है। इसका उद्देश्य भारत में निवेश की इच्छुक रूसी कंपनियों की मदद करना है। इसके जरिए एक ही जगह पर रूस की कंपनियों की सभी जरुरतें पूरी की जाएंगी और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत निर्माण के लिए सरकार कई योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान चला रही हैं। इनमें रूसी कंपनियों निवेश कर सकती हैं और तकनीकी मदद मुहैया करा सकती हैं। उन्होंने इसके लिए दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, स्मार्ट सिटीज, रेलवे, लोक परिवहन, स्वच्छता और किफायती आवास के क्षेत्र का उल्लेख किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रूसी कंपनियां भारत की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की विशेषज्ञता और सेवा का लाभ ले सकती हैं। दोनों देश की कंपनियां के लिए आईटी क्षेत्र के साफ्टवेयर और हार्डवेयर के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं हैं। भारतीय फार्मा क्षेत्र का उल्लेख करते हुए प्रभु ने कहा कि भारतीय कंपनियां रूस के बाजार की आवश्यकताएं पूरी कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लिए रूस रक्षा उपकरण का प्राथमिक स्रोत हैं लेकिन रूसी कंपनियों को भारत में रक्षा उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के संबंध में भी विचार करना चाहिए। भारत ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश क लिए खोल दिया है। रूसी कंपनियां समर्पित रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निवेश कर सकती हैं। इनके जरिए हेलिकाप्टर, परमाणु रिएक्टर और सौर पैनल के कलपुर्जों की आपूर्ति की जा सकती हैं।

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