बस्तर का अनूठा दशहरा : यहां रावण नहीं मारा जाता

जगदलपुर, 11 अक्टूबर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ के आदिवासी वनांचल बस्तर के दशहरा का राम-रावण युद्घ से कोई सरोकार नहीं है। यह ऐसा अनूठा पर्व है जिसमें रावण नहीं मारा जाता, अपितु बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी सहित अनेक देवी-देेवताओं की 13 दिन तक पूजा अर्चनाएं होती हैं। बस्तर दशहरा विश्व का सर्वाधिक दीर्घ अवधि वाला पर्व माना जाता है। इसकी संपन्न्ता अवधि 75 दिवसीय होती है।
रियासत बस्तर में पितृ पक्ष मोक्ष हरेली अमावस्या अर्थात तीन माह पूर्व से दशहरा की तैयारियां शुरू हो जाती है। बस्तर दशहरा के ऐतिहासिक संदर्भ में किवदंतियां हैं कि, यह पर्व 500 से अधिक वर्षों से परंपरानुसार मनाया जा रहा है। दशहरा की काकतीय राजवंश एवं उनकी इष्टïदेवी मां दंतेश्वरी से अटूट प्रगाढ़ता है। इस पर्व का आरंभ वर्षाकाल के श्रावण मास की हरेली अमावस्या से होता है, जब रथ निर्माण के लिए प्रथम लकड़़़़़़ी का पट्टï विधिवत काटकर जंगल से लाया जाता है। इसे पाट जात्रा विधान कहा जाता है। पट्टï पूजा से ही पर्व के महाविधान का श्रीगणेश होता है। तत्पश्चात स्तंभ रोहण के अंर्तगत बिलोरी ग्रामवासी सिरहासार भवन में डेरी लाकर भूमि में स्थापित करते हैं। इस रस्म के उपरंात रथ निर्माण हेतु विभिन्न गांवों ं से लकडिय़ां लाकर कार्य प्रारंभ किया जाता है।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »