जिले के 27 केंद्रों में प्री बीएड व डीएड की परीक्षा दो पालियों में हुईआयोजित

० ढाक के तीन पात का सही अर्थ क्या है, उलझे बीएड के विद्यार्थीकोरबा 18 जून (आरएनएस)। ढाक के तीन पात लोकोक्ति का अर्थ क्या है, आजीवन कौन सा समास है, गंगा नहाना का भावार्थ बताइए, ईश्वर करे सब स्वस्थ रहें में कौन सा वाक्य है, जैसे प्रश्नों के साथ जिले के 27 केंद्रों में प्री बीएड व डीएड की परीक्षा दो पालियों आयोजित हुई। पहली पाली की परीक्षा में 3456 पंजीकृत परीक्षार्थियों में 2341 अनुपस्थित रहे। वहीं दूसरी पाली दर्ज 3456 परीक्षार्थी 342 परीक्षार्थी परीक्षा देने केंद्र नहीं पहुंचे। चिलचिलाती धूप के के बीच परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में परीक्षार्थियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।व्यवसायिक शिक्षा मंडल व्यापम ने शिक्षा क्षेत्र में कैरियर बनाने वाले युवाओं के बीएड और डीएलएड की नियमित कक्षाओ में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित की। आगामी वर्षों आत्मानंद व अन्य सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का आवश्यकत को देखते हुए खासी संख्या में परीक्षार्थियों परीक्षा में शामिल होने के लिए पंजीयन कराया था। प्रथम पाली में प्री बीएड की परीक्षा सुबह 10 से दोपहर 12.15 बजे तक और द्वितीय पाली में प्री डीएलएड की परीक्षा दोपहर दो बजे से शाम 4.45 बजे तक आयोजित की गई। दों प्रथम पाली की परीक्षा के लिए 27 व द्वितीय के लिए 21 केंद्र बनाए गए थे। दोनों ही परीक्षाओं के प्रश्नपत्र को पांच भागों में बांटाथा था। इनमें सामान्य मानसिक योग्यता, सामान्य ज्ञान, शिक्षण अभिरूचि, सामान्य हिंदी व सामान्य अंग्रेजी के प्रश्न शामिल किए गए थे।प्रत्येक में 20-20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न रहे। पारदर्शिता पूर्ण परीक्षा आयोजन के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे। नकल प्रकरण रोकने के लिए उडऩ दस्ता टीम की गठन की गई थी। जिसके अंतर्गत प्रथम व द्वितीय पाली में 10 परीक्षा केंद्र क्रमांक 2201 से 2210 तक के लिए क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा शैलेश पिस्दा, अरुण चौधरी व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल दुरपा एवं ओमेश्वरी नायक एपीसी समग्र शिक्षा कोरबा को उडऩदस्ता नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार प्रथम व द्वितीय पाली में 10 परीक्षा केंद्र 2211 से 2220 तक के लिए कृषि विस्तार अधिकारी पीएल मिरेन्द्र, व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल कुदरमाल टीडी टोंडे एवं उप अभियंता क्रेडा कोरबा के लिए सुनीता श्रीवास को उडऩदस्ता नियुक्त किया गया था।

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