टीडीएस संबंधी संशय के निराकरण हेतु आहरण एवं संवितरण अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित

 ट्रेसेज पोर्टल की उपयोगिता पर डाला गया प्रकाश

धमतरी 18 नवम्बर (आरएनएस)।  कलेक्टर श्री पी.एस.एल्मा ने जिले में पदस्थ सभी आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को पत्र जारी कर आयकर विभाग तथा जिला कोषालय के समन्वय से टीडीएस पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर संशय के निराकरण हेतु निर्देशित किया था। उक्त निर्देश के परिपालन में गत 11 नवंबर को कार्यशाला का आयोजन जिला पंचायत के सभाकक्ष में दोपहर तीन बजे से आयोजित की गई, जिसमें सभी शासकीय कार्यालयों में पदस्थ आहरण संवितरण अधिकारी (डीडीओ) को आय के स्रोत में कटौती के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यशाला में आयकर अधिकारी श्री सुनील कुमार ने बताया कि शासकीय कार्यालय में किसी भी भुगतान पर स्रोत की कटौती का दायित्व या संग्रहण का दायित्व का निर्धारण किस पर होता है तथा कर के संग्रहण (कटौती), जमा तथा घोषणा के संबंध में प्रावधान एवं निर्धारित समयसीमा की भी जानकारी कार्यशाला में दी, साथ ही यह भी बताया कि इसके किसी भी स्तर पर निर्धारित समय सीमा में उल्लंघन से किस प्रकार कर के दायित्व का भार डीडीओ पर आता है। इसी अनुक्रम में शासकीय सेवक की आय विवरणी में शामिल अन्य छूट जैसे गृह भाड़ा भत्ता (हाउस रेंट एलाउंस), आयकर की धारा 89 के तहत रिलीफ पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा आयकर अधिनियम की धारा 194 के बारे में बताया गया कि ठेकेदारों, किराया, प्लांट मशीनरी, व्यावसायिक अथवा तकनीकी सर्विस को एकमुश्त भुगतान करते समय टीडीएस कटौती का निर्धारण किस तरह किया जाना है।
आयकर अधिकारी द्वारा  आयकर विभाग के ऑनलाइन मॉड्यूल “ट्रेसेज“ के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया गया, जैसे कोई डीडीओ इसमें लॉगिन कर अपने कार्यालय के आयकर के संबंध में पूरी जानकारी किस प्रकार हासिल कर सकता है, इसमें कार्यालय के “टेन“ पर यदि  आयकर विभाग की मांग लंबित हो, उसका विवरण भी वर्षवार अवलोकन किया जा सकता है तथा इस प्रकार की मांग डीडीओ को व्यक्तिगत जिम्मेदारी होती है जिसका भुगतान नहीं किए जाने पर आयकर की विभिन्न धाराओं में शास्ति के प्रावधान के बारे में बताया गया।
वरिष्ठ कोषालय अधिकारी श्री आर के साहू द्वारा बताया गया कि कई शासकीय सेवक की वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में आयकर भुगतान की प्रवृत्ति होती है जो आयकर के प्रावधानों के अनुरूप उचित नहीं है तथा इसके परिणामस्वरूप आयकर को देय कर की राशि के उपरांत भी ब्याज की शास्ति आरोपित हो जाती है। इसके अलावा सभी शासकीय सेवक को  रिटर्न फाइल करने की अनिवार्यता की जानकारी इस अवसर पर दी गई। कार्यशाला के समापन सत्र में ट्रेसेज पोर्टल पर लॉगिन कर लाइव डेमो दिया गया तथा उपस्थित डीडीओ से उनके संशय को निराकृत करने का प्रयास कार्यशाला में उपस्थित आयकर अधिकारी एवं उनकी टीम द्वारा किया गया।

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