रायपुर, 20 जनवरी (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किसानों को विभिन्न योजनाओं का फायदा पहुंचाकर उनकी आमदनी बढ़ाने में सहयोग किया जा रहा है। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना जैसी योजनाओं से किसानों के खेतों में कुआं, डबरी खुदवाकर सिंचाई की सुविधा मुहैय्या कराया जा रहा है। जांजगीर-चांपा जिले के दमाऊ पहाड़ की सुरम्यवादियों के बीच बसे हुए गांव बरपालीकला के रहने वाले श्री फुलेशराम अब बेहद खुशहाल जीवन जी रहे है। उनकी खुशी का कारण है, उनके खेतों में बनी हुई निजी डबरी। यह डबरी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से बनी है। जिसमें एकत्र हुई बारिश की बूंदों से उनके जमीन में नमी बनी रहती है और धान की फसल बेहतर होने लगा है। डबरी से मिले फायदे से फुलेशराम इतने उत्साहित हैं कि उन्होंने इसके इर्द-गिर्द ही अपने भविष्य की योजनाओं का ताना-बाना बुन लिया है। वे धान की फसल के साथ ही मछलीपालन और सब्जी-भाजी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं। श्री फुलेशराम की डबरी सक्ती विकासखण्ड से 15 किलोमीटर दूर बरपाली कलां ग्राम पंचायत में है। उनके पास 5 एकड़ जमीन है, जिस पर वे वर्षों से खेती-किसानी करते आ रहे हैं। लेकिन जल संचय या जल स्त्रोतों के अभाव में एक ही फसल ले पा रहे थे। रोजगार सहायक ने परामर्श दिया कि महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से खेतीहर किसानों की जमीन पर डबरी और कुआं निर्माण जैसे जल संसाधनों का निर्माण किया जा सकता है। निर्माण के दौरान हितग्राही को उसमें मजदूरी करने का अवसर भी मिलता है। श्री फुलेशराम ने खेत में डबरी बनाने के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन जमा किया। पात्रता के आधार पर खेत में निजी डबरी निर्माण के लिए 2.99 लाख रूपए की मंजूरी मिल गई। वहाँ डबरी खुदाई का काम 4 दिसंबर 2020 को शुरू हो गया। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना श्रमिकों के साथ ही उन्होंने भी डबरी की खुदाई में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। मेहनत सफल हुई और श्री फुलेशराम के खेत में डबरी का निर्माण 20 फरवरी 2021 को पूरा हो गया। इस कार्य में गांव के ही 91 परिवारों को 1,452 मानव दिवस रोजगार प्रदान किया गया। जिसके लिए 2 लाख 75 हजार 880 रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया। श्री फुलेशराम के परिवार को भी इसमें रोजगार मिला और उन्हें इसके लिए 19 हजार 380 रूपए की मजदूरी भी प्राप्त हुई।
फुलेशराम बताते हैं कि पहले खेती के लिये बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था। ऐसी स्थिति में लगभग 80 क्विंटल के आस-पास ही धान की पैदावार हो पाती थी। डबरी से सिंचाई की सुविधा मिलने से उतनी ही जमीन पर 105 क्विंटल धान की पैदावार हुई, जो पिछले साल की तुलना में 25 क्विंटल अधिक थी। उन्होंने बताया कि इस साल हुई अधिक पैदावार से जो मुनाफा होगा, उससे वे खेती-किसानी के उपकरण खरीदेंगे। मुनाफा बढ़ने से फुलेशराम का पूरा परिवार खुशहाल है। श्री फुलेशराम ने डबरी के आसपास की जमीन पर टमाटर, मिर्च, धनिया, बरबट्टी आदि सब्जियां भी लगाई हैं, जो उनके परिवार के प्रतिदिन के भोजन की जरुरतों को पूरा कर रही हैं। इसके अलावा बारिश के बाद जब डबरी में पर्याप्त पानी भर गया था, तो उन्होंने मछलीपालन के उद्देश्य से उसमें 5 किलोग्राम मछली बीज डाले थे, जो आने वाले दिनों में उनकी अतिरिक्त आय का साधन होगी।