रायपुर, 31 अक्टूबर (आरएनएस)।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके उरांव आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा पुरखौती मुक्तांगन में आयोजित राज्य स्तरीय करम नृत्य प्रतियोगिता के कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह में शामिल हुई। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, विधायक डॉ. प्रीतम राम, विधायक मोहित केरकेट्टा, राज्यपाल के सचिव अमृत खलखो सहित बड़ी संख्या में उरांव आदिवासी समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे। राज्यपाल ने करम नृत्य आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से सामाजिक मेल-जोल और सद्भाव और बढ़ता है। उन्होंने 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक हुए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के सफल आयोजन के लिए मुख्यमंत्री एवं संस्कृति मंत्री एव उनकी पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नृत्य-संगीत, आदिवासियों के जीवन का अभिन्न अंग है। इसके जरिए ना केवल उनका मनोरंजन होता है बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कला, संस्कृति भी हस्तांतरित की जाती है। जिस तरह नृत्य में लय और अनुशासन जरूरी रहता है उसी प्रकार जीवन में भी इसका महत्व है। आज के आपा धापी के इस युग में अपने आप को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए नृत्य और संगीत बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आदिवासी सरल स्वभाव के होने के साथ ही स्वाभिमानी भी होते हैं। उन्होंने समाज के लोगों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक होने और संगठित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वे अपनी आजीविका के लिए जल, जंगल और जमीन पर निर्भर रहते हैं, जो कि उनका स्वाभाविक अधिकार है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून का क्रियान्वयन शीघ्र ही होगा, इसके लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं। आदिवासी कल्याण के लिए राज्य शासन की सोच भी सकारात्मक है। शासन द्वारा उनके कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बाहुल्य राज्य के लिए गौरव की बात है कि केन्द्र शासन द्वारा आदिवासी समुदाय के ही व्यक्ति को संवैधानिक मुखिया बनाकर भेजा गया है और मेरे लिए भी यह गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और अपनी बोली, भाषा, लोक कला को जीवित रखने के लिए प्रचार के आधुनिक माध्यमों का भी उपयोग करना चाहिए। समाज को शिक्षा विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा, अपने आसपास के वातावरण की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि कोरोना महामारी से हमने बहुत कुछ सीखा है। आदिवासी समुदाय को खेती-किसानी के अलावा युवाओं के कौशल बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए, जिससे उन्हें अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार मिल सके।