रायपुर, 29 जुलाई (आरएनएस)।

छत्तीसगढ़ में गोधन-न्याय योजना से गोठानों में वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने वाली स्व सहायता समूह की महिलाओं की आमदनी में इजाफा हो रहा है वहीं अब किसानों को जैविक खाद अपने ही गांव में मिलने लगा है। वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से खेती किसानी की लागत भी कम हो गयी है। बस्तर अंचल में उपजाई जाने वाली फसलों के स्वाद और खुशबू की मिसाल सभी देते हैं, मगर पिछले कुछ सालों से इस अंचल में भी अधिक उपज की भावना से किसानों ने धड़ल्ले से रासायनिक खाद का उपयोग प्रारंभ कर दिया था।
रासायनिक खाद से की जाने वाली खेती से पहले तो किसानों की उपज बढ़ती हुई महसूस हो रही थी, मगर समय के साथ बंजर होती जमीन ने अधिक खाद की मांग शुरु कर दी। परिणाम यह हुआ कि किसानों की लागत लगातार बढ़ती चली गई और फसल की स्वाद और खुशबू भी गायब हो गई और तो और रासायनिक खाद से उत्पन्न फसल के कारण शरीर में पड़ने वाले दुष्प्रभाव भी दिखाई देने लगे हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा खेतों को आवारा मवेशियों से बचाने के लिए गौठानों को पुनर्जीवित करने के साथ ही रासायनिक खाद से मानव शरीर, भूमि और पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए इन्हीं गौठानों में गोबर से बनने वाले खाद के निर्माण को प्रोत्साहन देने का कार्य प्रारंभ किया गया, जिसके कारण बस्तर सहित पूरे प्रदेश मेंएक बार फिर से जैविक खेती का प्रचलन बढ़ने लगा है।