प्रथम सावन सोमवार 26 से

रायपुर, 25 जुलाई (आरएनएस)। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी सावन मास आज से प्रारंभ हो गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन मास में भोलेनाथ की आराधना करने से भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। शहर के अति प्राचीनतम मंदिर हठकेश्वर महादेव, बूढेश्वर महादेव, दुधाधारी मठ सहित नये पुराने शिवालयों में आज से भक्तों का पूजन हेतु पहुंचना प्रारंभ हो गया है। कोरोना वायरस गाइड लाइन के अनुसार ही भक्तगण एक एक कर मंदिरों में भोलेनाथ का दर्शन लाभ प्राप्त करेंगे। जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक का निर्णय भी मंदिर समिति के पुजारियों द्वारा तय मापदंड के अनुसार भक्तों को नियमानुसार मानना होगा। सावन मास में भोलनाथ की आराधना के लिए मदार का फूल, बेलपतरी, धतुरा, चना दाल, चावल, दूध, शहद आदि का अर्पण करने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। पंडित रमानाथ तिवारी के अनुसार सावन मास में भक्तों द्वारा शिवकी भक्ति करने से अनेक पुण्यों का लाभ मिलता है।
आज से सावन मास शुरू हो रहा है। इस पवित्र महीने को हर घर में एक त्योहार की तरह मनाया जाएगा। इस परंपरा को लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं। भगवान शिव की पूजा करने का सबसे उत्तम सावन महीने को माना गया है। धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है। पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है। इसलिए सावन में लोग रूद्राभिषेक कराते हैं। सावन का महीना और सोमवार का दिन दोनों भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। जब सावन का महीना व सोमवार दोनों एक साथ हो तो सावन सोमवार का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि सावन सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से वह बहुत जल्द ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी पाप नष्ट कर मनोवांछित फल देते हैं।
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