मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा-नया कृषि कानून अवैधानिक

0-राज्य के विषय पर केन्द्र सरकार डाल रही डाका
0-कांटे्रक्ट फार्मिंग अनाजों की उपज पर व्यवहारिक ही नहीं
0-असीमित भंडारण की छूट से बढ़ेगी कालाबाजारी
0-किसानों के साथ ही श्रमिक और आमजनों का जीना हो जाएगा मुहाल
रायपुर, 27 सितंबर (आरएनएस)। केन्द्र सरकार के नए कृषि कानून को अवैधानिक और किसान विरोधी करार देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह कानून पूरी तरह से किसान विरोधी है। उन्होंने नए कानून को अवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह केन्द्र सरकार का विषय नहीं है।
कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में आज एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जो नया कृषि विधेयक लाया है वह भारत सरकार के अधीन ही नहीं है। यह अनुच्छेद 239 में सातवीं अनुसूची में पढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने कृषि को लेकर जो नया बिल लाया है वो स्पष्ट रूप से राज्य का विषय है, विधान मंडल का विषय है। राज्य सूची में जो प्रविष्टि है वह कृषि से संबंधित है, इसीलिए लोकसभा-राज्यसभा में जो कानून पास किया गया वो अवैधानिक है, संघीय ढांचे के विपरीत है। श्री बघेल ने कहा कि शायद इसीलिए नए बिल को बैकडोर से पारित किया गया। श्री बघेल ने कहा कि इस विधेयक का नाम भी बदल दिया गया और इसे टे्रड करार दिया गया है। जबकि किसान हमारे अन्नदाता हैं, मगर केन्द्र सरकार ने इसे पूरी तरह से बदलकर टे्रडिंग करार दे दिया है। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि भविष्य में अब खेती-किसानी और अन्न उत्पादन पर टैक्स लगा दिया जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। श्री बघेल ने कहा कि यह राज्यों के विषय हैं, विधानमंडल के विषय हैं इसीलिए केन्द्र सरकार ने राज्यों के इस अधिकार पर कुठाराघात करते हुए दूसरे रूप में इस बिल को लाया है, जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं।
श्री बघेल ने शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक ओर पूरा देश कोरोना जैसे विश्व व्यापी महामारी से जूझ रहा है तो वहीं केन्द्र सरकार किसानों और श्रमिकों के हितों पर लगातार कुठाराघात करने से पीछे नहीं हट रहा है। उन्होंने कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह केस में जब मीडिया का पूरा ध्यान लगा था, इसी दौरान केन्द्र सरकार ने गुपचुप तरीके से अपनी चाल चली थी और इन बिलों को सामने लाया था। श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार कहती है कि किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सकता है, तो पहले भी तो यही व्यवस्था थी। इसमें नया कुछ नहीं हुआ है, दूसरी ओर मंडियों को समाप्त करने की साजिश भी चल रही है। श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार आखिर किसानों को धोखे में क्यों रख रही है? क्या आज तक सरगुजा, अंबिकापुर का किसान पंजाब, हरियाणा में जाकर अपना उपज बेचा है? केन्द्र सरकार कांटे्रक्ट फार्मिंग का फार्मूला ला रही है, फल आदि की उपज में यह चल भी सकता है, लेकिन अनाज में अनुबंध नहीं चल सकता। दूसरी ओर भंडारण में खुली छूट दिया जा रहा है, कोई भी कितना भी अनाज आदि जमा कर सकता है। ऐसे में तो बाजार में लूटमार मच जाएगा। पूंजीपति सारा माल लेकर उसे मनमानी कीमत पर बेचेंगे ऐसे में आम उपभोक्ताओं का क्या होगा?
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