वायुयान संशोधन विधेयक 2020 को संसद की मंजूरी
नयी दिल्ली,15 सितंबर (आरएनएस)। भारत की विमानन सुरक्षा रेटिंग में सुधार लाने और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) सहित विभिन्न नियामक संस्थानों को वैधानिक दर्जा प्रदान करने से संबंधित ‘वायुयान संशोधन विधेयक 2020’ को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा ने वायुयान (संशोधन) विधेयक 2020 को चर्चा के बाद ध्वनि मत से पारित कर दिया। लोकसभा में यह विधेयक बजट सत्र के दौरान पारित हुआ था। लोकसभा में पारित होने के बाद, राज्यसभा में भी इसके पारित हो जाने से, इस विधेयक को संसद से मंजूरी की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इस विधेयक में देश के सशस्त्र बलों से संबंधित विमानों को वायुयान कानून, 1934 के दायरे से बाहर रखने का भी प्रावधान है। विधेयक में नए नियमों के उल्लंघन के लिए कठोर दंड के तौर पर जुर्माना राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने का भी प्रस्ताव है।
हरदीप पुरी ने किया निजीकरण का समर्थन, कहा-29000 करोड़ मिले
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान एयर इंडिया के निजीकरण के संबंध में विपक्षी सदस्यों द्वारा जताई गई चिंता दूर करने की कोशिश करते हुए नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि वर्ष 2006 में मुंबई और दिल्ली जैसे दो महत्वपूर्ण हवाईअड्डों का निजीकरण हुआ जिसके बाद भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) को 29,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। इससे न सिर्फ इन 2 हवाईअड्डों बल्कि देश के अन्य हवाईअड्डों के आधारभूत ढांचे को भी विकसित करने में मदद मिली। पुरी ने कहा कि देश में 109 हवाईअड्डे फिलहाल परिचालन में हैं और अगले पांच वर्षो में 100 अतिरिक्त हवाईअड्डे निर्मित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि हवाई यात्रा सुरक्षित, सुलभ और सस्ती हो और वह सुरक्षा के संबंध में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत तक सामान्य रूप से उड़ानों का संचालन शुरु हो जाने की उम्मीद की जा रही है। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया को उसके निजीकरण करने या नहीं करने की दृष्टि से देखने के बजाय, उसके 60,000 करोड़ रुपये के बकाया ऋण और उसे खत्म करने के उद्देश्य से देखा जाना चाहिये।
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