संसद देश के वीर जवानों के पीछे खड़ी है, सदन देगा यह मजबूत संदेश : मोदी

नयी दिल्ली,14 सितंबर (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विश्वास जताया कि संसद एक स्वर में यह संदेश देगी कि वह हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों के साथ एकजुटता से खड़ी है और ऐसा करना संसद की विशेष जिम्मेदारी भी है। संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले मीडिया को दिये अपने बयान में मोदी ने लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा गतिरोध के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि भारतीय सैनिक दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बहादुरी के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। आने वाले समय में तो अब वहां बर्फबारी भी होनी है। गतिरोध का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘इस सदन की और भी एक विशेष जिम्मेदारी है और खास तौर पर इस सत्र की विशेष जिम्मेदारी है। आज जब हमारी सेना के वीर जवान सीमा पर डटे हुए हैं, बड़ी हिम्मत के साथ, जज्बे के साथ, बुलंद हौसलों के साथ दुर्गम पहाडिय़ों में डटे हुए हैं और कुछ समय के बाद वर्षा भी शुरू होगी। जिस विश्वास के साथ वो खड़े हैं, मातृभूमि की रक्षा के लिए डटे हुए हैं, ये सदन और, सदन के सभी सदस्य एक स्वर से, एक भाव से, एक भावना से, एक संकल्प से संदेश देंगे- कि सेना के वीर जवानों के पीछे पूरा देश खड़ा है। उन्होंने कहा, ‘संसद और सदस्यों के माध्यम से पूरा सदन एक स्वर से देश के वीर जवानों के पीछे खड़ा है। ये बहुत ही मजबूत संदेश भी ये सदन देगा, सभी सदस्य देंगे। ऐसा मेरा पूरा विश्वास है।Ó प्रधानमंत्री का यह आह्वान ऐसे समय में आया है जब संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है। कुछ विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, इस मुद्दे पर लगातार सरकार की आलोचना कर रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संकट के चलते ही संसद का बजट सत्र समय से पहले रोकना पड़ा था। लोकसभा और राज्यसभा की बैठकों के समय में हुए परिवर्तन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन अब शनिवार और रविवार को भी बैठेगा जिसे सभी सदस्यों ने स्वीकार कर ”कर्तव्य पथ पर आगे बढऩे का फैसला किया है।
प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव को लोकसभा की मंजूरी
कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल एवं गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव सोमवार को लोकसभा में रखा जिसे मंजूरी प्रदान कर दी गई। विपक्षी दलों ने प्रश्नकाल के निलंबन का विरोध किया और सरकार पर सवालों से बचने का आरोप लगाया जिस पर सरकार ने कहा कि यह असाधारण परिस्थिति है जिसमें राजनीतिक दलों को सहयोग करना चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सत्र के दौरान प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज नहीं रखने पर अधिकतर दलों के नेताओं ने सहमति दी थी और प्रश्नकाल नहीं होने पर भी सदस्य सरकार से सवाल कर सकते हैं।
73 साल के बाद प्रश्नकाल हटाकर लोकतंत्र का गला घोंटा : अधीर रंजन
संसदीय कार्य मंत्री ने जब यह प्रस्ताव रखा तो सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल ‘स्वर्णकाल होता है और इसे सदन की आत्मा भी कहा जा सकता है। यह सरकार की जवाबदेही के लिए होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के 73 साल के बाद सरकार प्रश्नकाल हटाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया।
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