केन्द्र सरकार ने बंद करायी बीमा योजना : मोहम्मद अकबर
0- तेंदूपत्ता संग्राहकों का बीमा योजना बंद करने के बृजमोहन अग्रवाल के आरोप पर मंत्री मोहम्मद अकबर का पलटवार
रायपुर ,21 जुलाई (आरएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के लोग सत्ता में रहते हुए आदिवासियों का खूब शोषण करते है और इन्हें हमेश ठगने का प्रयास करते है कभी गाय के नाम पर, कभी नौकरी देने के नाम पर और सत्ता से हटते ही आदिवासियों के सबसे बड़े हितैषी होने का ढोंग करते है। आदिवासी इनको समझ चुके है और इसीलिए आदिवासी क्षेत्र बस्तर और सरगुजा से इनका सफाया हो गया है, इनका नाम लेने वाला भी कोई नहीं बचा है।
छत्तीसगढ़ में तथाकथित आदिवासियों के हितैषी भारतीय जनता पार्टी के 15 साल के कार्यकाल में सबसे अधिक आदिवासियों की जमीन बिकी है। कलेक्टरों पर दबाव डालकर नियम विरूद्ध जमीन बिक्री की अनुमति दिलाई गई। उद्योगों को आदिवासियों की जमीन दिलाने भाजपा सरकार लगातार कलेक्टरों पर दबाव बनाती रही है। बस्तर के लोण्हडीगुड़ा में आदिवासियों की 2500 एकड़ जमीन छीनकर टाटा कंपनी को दे दी गई थी। जांजगीर चांपा में आधा एकड़ जमीन धारण करने वाले आदिवासी परिवार की जमीन कलेक्टर द्वारा नियम विरूद्ध विक्रय की अनुमति दी गई, जबकि भूमि विक्रय के बाद आजीविका के लिए आदिवासी के पास कम से कम 05 एकड़ जमीन शेष रहना चाहिए। जांजगीर चांपा में विडियोकॉन कम्पनी के द्वारा आदिवासियों की लगभग 110 एकड़ भूमि मनरेगा मजदूर के नाम से खरीदी गई। कांग्रेस के विरोध के बाद जमीन नामांतरण को निरस्त किया गया। भारतीय जनता पार्टी ने अपने सरकार के आखिरी महिनों में एक कानून बनाने जा रही थी, जिसके अनुसार योजना के नाम पर आदिवासियों की जमीन ली जा सकती थी जिसका तत्समय कांग्रेस ने विरोध किया और कानून बनते-बनते रह गया।
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्राहकों का बीमा योजना बंद करने के पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल के आरोप पर प्रदेश के वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने दस्तावेजों के साथ तथ्यामक जानकारी देते हुए आरोपों को नकार दिया। उन्होंने साबित किया कि तेंदूपत्ता संग्राहकों का बीमा योजना को केन्द्र की भाजपा सरकार ने बंद कराया है।
वनमंत्री अकबर ने बताया कि छ0ग0 में तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के माध्यम से 02 बीमा योजनाएॅ संचालित थी –
1. आम आदमी बीमा योजना
2. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना।
आम आदमी बीमा योजना में तेंदूपत्ता संग्राहकों की सामान्य मृत्यु होने पर 30 हजार रू. मिलने तथा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में सामान्य मृत्यु होने पर 02 लाख रू. दिए जाने का प्रावधान था। बीमा योजना के लिए प्रीमियम की 50 प्रतिशत राशि भारत सरकार, 37.5 प्रतिशत राशि राज्य सरकार व 12.5 प्रतिशत राशि छ0ग0 राज्य सहकारी लघु वनोपज संघ द्वारा वहन किया जाता था। बीमा योजना हेतु राज्य सरकार ने 2019-20 के लिए प्रीमियम राशि जमा करने 13.20 करोड़ रू. का प्रावधान बजट में रखा था। इस राशि को इसलिए सरेंडर करना पड़ा क्योंकि मंडल प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की ओर से दिनांक 10.10.2019 को एक पत्र प्राप्त हुआ । इस पत्र में राज्य सहकारी लघु वनोपज संघ को साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि बीमा योजनाओं के नवीनीकरण व नई योजनाओं को जारी करने बंद कर दिया गया है जिसके कारण इन योजनाओं का नवीनीकरण व नई योजनाओं की स्वीकृति संभव नहीं है।
ऐसा होने से भारत सरकार की ओर से बीमा योजनाओं के लिए प्रीमियम की 50 प्रतिशत राशि जो भारत सरकार से दी जानी थी वह बंद कर दी गई। वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि आरोप लगाने वाले भाजपा नेताओं को भारत सरकार से पूछना चाहिए कि उन्होंने तेंदूपत्ता संग्राहकों के हितों के विपरीत जाकर बीमा योजना बंद करने का यह फैसला क्यों लिया।
वनमंत्री ने बताया कि आज भी छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्राहकों के परिवार हेतु छात्रवृत्ति योजना संचालित की जा रही है। प्रदेश में संग्राहक परिवारों के बच्चों को 10वीं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक पाने पर 15 हजार रू. व 12वीं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक पाने पर 25 हजार की छात्रवृत्ति दिए जा रहे हंै।
भारत सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा की योजनाएॅ बंद कर दिए जाने से उत्पन्न परिस्थिति के मद्देनजर छत्तीसगढ़ सरकार संग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए असंगठित कर्मकार, सामाजिक सुरक्षा योजना लागू कर रही है। दिनांक 22.05.2020 को लघु वनोपज सहकारी संघ की बैठक में 16 करोड़ रू. की राशि का भी प्रावधान किया गया है। इसका लाभ प्रदेश के साढ़े बारह करोड़ तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलेगा। जहॉ तक भाजपा नेताओं के आरोपों का प्रश्न है उन्हें छ0ग0 राज्य सहकारी लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष भरत साय जो स्वयं भी भाजपा से है, उनसे पूछना चाहिए कि उन्होंने योजना लागू करने में विलंब से क्यों प्रस्ताव पारित कराया।
असंगठित कर्मकार, सामाजिक सुरक्षा योजना में तेंदूपत्ता संग्राहक की सामान्य मृत्यु होने पर 01 लाख रू. व विकलांगता होने पर 50 हजार रू. दिए जाने का प्रावधान है। इस नई योजना में प्रत्येक तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार में कम से कम एक सायकल भी दिया जाएगा। इसके अलावा 02 संतानों के लिए 10-10 हजार रू. प्रसूति व्यय भी दिए जाएॅगें। इतना ही नहीं 02 बच्चों के लिए प्रांरभ से लेकर अंत तक छात्रवृत्ति दिए जाने का भी प्रावधान है।
वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि जहॉ तक लघु वनोपज खरीदी का प्रश्न है, भारत सरकार के आंकड़े बताते है कि वर्ष 2020 में कोरोना संकटकाल होने के बावजूद आज दिनांक तक छत्तीसगढ़ में 112 करोड़ रूपये की 31 लघु वनोपजों की खरीदी की गई है। इसके विपरीत पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासनकाल में वर्ष 2018 में मात्र 02 करोड़ 55 लाख रू. के लघु वनोपजों की ही खरीदी की गई थी। आरोप लगाने वाले भाजपा नेता भाजपा शासित राज्यों में लघु वनोपजों की खरीदी पर भी जरा नजर डाल लें। पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में आज दिनांक तक मात्र 81 लाख रू. की लघु वनोपजों के ही खरीदी की गई है। वही उत्तर प्रदेश में तो खरीदी का यह आंकड़ा निरंक है। गुजरात में 1.73 करोड़ रू. के लघु वनोपजों की ही खरीदी हुई है। भाजपा नेताओं को इन राज्यों को अधिक लघु वनोपजों की खरीदी के लिए प्रेरित करना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में 31 लघु वनोपजों की खरीदी के साथ-साथ वर्ष 2020 में 400 करोड़ रू. की राशि का तेंदूपत्ता की खरीदी भी की गई है। कोरोना संकटकाल में 400 करोड़ रू. की राशि का तेंदूपत्ता खरीदी करना अपनेआप में उल्लेखनीय है।
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्राहकों को 4000 रू. प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है जबकि मध्य प्रदेश में मात्र 2500 रू. प्रति मानक बोरा का भुगतान पारिश्रमिक के रूप में तेंदूपत्ता संग्राहकों को दिया जा रहा है।
वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि छ.ग. में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2018 का 239 करोड़ रू. का प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान भी हिसाब-किताब मिलान के बाद शीघ्र किया जाएगा। तेंदूपत्ता संग्रहण के समय संग्राहकों को पारिश्रमिक का भुगतान निर्धारित दर के अनुसार कर दिया जाता है लेकिन प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान विक्रय मूल्य प्राप्त करने के बाद ही किया जाता है।